अन्नप्राशन संस्कार
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जब शिशु के दाँत उगने लगे, मानना चाहिए कि प्रकृति ने उसे ठोस आहार, अन्नाहार करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। स्थूल (अन्नमयकोष) के विकास के लिए तो अन्न के विज्ञान सम्मत उपयोग का ज्ञान जरूरी है यह सभी जानते हैं। सूक्ष्म विज्ञान के अनुसार अन्न के संस्कार का प्रभाव व्यक्ति के मानस पर स्वभाव पर भी पड़ता है। कहावत है जैसा खाय अन्न-वैसा बने मन। इसलिए आहार स्वास्थ्यप्रद होने के साथ पवित्र, संस्कार युक्त हो इसके लिए भी अभिभावकों, परिजनों को जागरूक करना जरूरी होता है। अन्न को व्यसन के रूप में नहीं औषधि और प्रसाद के रूप में लिया जाय, इस संकल्प के साथ अन्नप्राशन संस्कार सम्पन्न कराया जाता है।
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