ईरान-संयुक्त राज्य सम्बन्ध
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच अनौपचारिक राजनयिक संबंध / From Wikipedia, the free encyclopedia
ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 1980 से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है। पाकिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका में ईरान की रक्षा शक्ति के रूप में कार्य करता है, जबकि स्विट्जरलैंड ईरान में संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा शक्ति के रूप में कार्य करता है। वॉशिंगटन, डी॰ सी॰ में पाकिस्तानी दूतावास के ईरानी हितों के अनुभाग के माध्यम से संपर्क किया जाता है,[1] और तेहरान में स्विस दूतावास के अमेरिकी हितों के अनुभाग के माध्यम से।[2] 2018 तक, ईरान के सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई ने संयुक्त राज्य के साथ सीधी बातचीत पर प्रतिबंध लगा रखा है।[3]
ईरान |
संयुक्त राज्य |
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Diplomatic Mission | |
Interests Section of the Islamic Republic of Iran in the United States Embassy of Pakistan, Washington, D.C. | Embassy of the United States, Tehran Interests Section in the Swiss Embassy |
Envoy | |
Director of the Interest Section Mehdi Atefat | United States Special Representative for Iran Brian Hook |
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में दोनों देशों के बीच संबंध शुरू हुए थे, जब ईरान को पश्चिम में फारस(Persia) के नाम से जाना जाता था। प्रारंभ में, जब द ग्रेट गेम के दौरान ईरान ब्रिटिश और रूसी औपनिवेशिक रूचियों (स्वार्थ) से बहुत सावधान था, वह संयुक्त राज्य अमेरिका को एक अधिक भरोसेमंद विदेशी शक्ति के रूप में देखता था, तथा आर्थर मिलस्पॉ और मॉर्गन शस्टर जैसे अमेरिकियों को उस समय के शाहों द्वारा कोषाध्यक्ष-प्रमुख भी नियुक्त किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, यूनाइटेड किंगडम और सोवियत संघ द्वारा ईरान पर हमला किया गया था, ये दोनों देश अमेरिकी सहयोगी थे; फिर भी युद्ध के बाद के कई वर्षों तक संबंध सकारात्मक बने रहे, तब तक जब तक कि मोहम्मद मोसादेग की सरकार को उसके अन्तिम दिनो में एमआई 6 की सहायता से केंद्रीय खुफिया एजेंसी द्वारा तख्ता पलट कर समाप्त नहीं कर दिया गया। इसके बाद शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन और अमेरिकी सरकार के बीच बहुत करीबी गठबंधन और दोस्ती का युग आया, जो 1979 की ईरानी क्रांति के बाद दोनों देशों के बीच नाटकीय उलट-पलट और असहमति के साथ खत्म हुआ।[4] उस दौर में , ईरान संयुक्त राज्य के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक था।[5][6][7]
संबंधों के ठंडा पड़ने के पीछे अलग-अलग कारण बताये जाते हैं। ईरानी स्पष्टीकरण में सब कुछ शामिल है, इस्लामी क्रांति को प्राकृतिक और अपरिहार्य संघर्ष बताने से लेकर कथित अमेरिकी अहंकार[8] और उसकी वैश्विक आधिपत्य की इच्छा तक।[9] अन्य व्याख्याओं में कहा गया है कि, ईरान की सरकार को एक बाहरी व्यक्ति(bogeyman) की ज़रूरत थी, जो जनतंत्र समर्थक शक्तियों के खिलाफ घरेलू दमन के लिए एक बहाना प्रस्तुत करे और सरकार को उसके वफादार जनता के साथ बंधन में बाँध सके।[10]
1995 से, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था।[11] 2015 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने परमाणु समझौते (संयुक्त व्यापक कार्य योजना, Joint Comprehensive Plan of Action) के लिए सफल वार्ता का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य ईरान की परमाणु हथियार क्षमताओं को समाप्त करना था, और जब 2016 में ईरान ने अनुपालन किया, तो ईरान से प्रतिबंध हटा लिए गए।[12][13] ट्रम्प प्रशासन परमाणु समझौते से हट गया और 2018 में प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया।
2013 के बीबीसी वर्ल्ड सर्विस पोल के अनुसार, 5% अमेरिकियों ने ईरानी प्रभाव को सकारात्मक रूप से देखा, 87% ने नकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया, जो दुनिया में ईरान की सबसे प्रतिकूल धारणा है।[14] दूसरी ओर, शोध से पता चला है कि अधिकांश ईरानी अमेरिकी लोगों के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, लेकिन अमेरिकी सरकार के बारे में नहीं।[15][16] ईरानपोल के 2019 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 13% ईरानी संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति एक अनुकूल दृष्टिकोण रखते हैं, जबकि 86% एक प्रतिकूल दृष्टिकोण व्यक्त करते हैं।[17] 2018 प्यू पोल के अनुसार, 39% अमेरिकियों का कहना है कि ईरान की शक्ति और प्रभाव को सीमित करना विदेश नीति की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।[18] जब दोनों देशों के लक्ष्य ओवरलैपिंग(overlapping) होते हैं तो संबंध सुधरते हैं, जैसे कि सुन्नी आतंकवादियों को हटाना।[19]