कर्म योग
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कर्मयोग अर्थात कर्म में लीन होना। योगा कर्मो किशलयाम, योग: कर्मसु कौशलम्। धर्माचरण करके पापों का क्षय करना और अपने विकास की ओर बढ़ना; परन्तु "फल की आकांक्षा न रखते हुए कर्म करना" ही कर्मयोग है।
सामान्य तथ्य आस्थादर्शन, ग्रन्थशास्त्र ...
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