कोस्टा कंकोर्डिया
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एमएस कोस्टा कंकोर्डिया २००४ में बना एक कंकोर्डिया-श्रेणी का क्रूज़ जहाज़ है जिसका निर्माण फिनकानटीएरी सेनेस्तरी पोनेती यार्ड्स ने इटली में किया था और २००५ से कोस्टा क्रोसियर इसके प्रचालक है। "यूरोपीय देशों के बिच एकता और अखंडता" दर्शाने के उद्देश्य से इसका नामकरण कंकोर्डिया रखा गया था।[3]
कोस्टा कंकोर्डिया ३१ जुलाई २००९ में | |
कैरियर | इटली |
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नाम: | कोस्टा कंकोर्डिया |
स्वामित्व: | कार्निवल कॉर्पोरेशन एंड पिएलसी |
प्रचालक: | कोस्टा क्रोसियर |
मार्ग: | पश्चिमी भूमध्य |
आदेशित: | १९ जनवरी २००४ |
निर्माता: | फिनकानटीएरी, इटली |
लागत: | €४५० दसलक्ष (£३७२ दशलक्ष, US$५७० दसलक्ष) |
यार्ड संख्या: | ६१२२ |
जलावतरण: | 2 सितम्बर 2005 (2005-09-02) |
नाम दिया: | ७ जुलाई २००६[1] |
अजि॔त: | ३० जून २००६ |
पहली जलयात्रा: | १४ जुलाई २००६ |
सेवा में: | जुलाई २००६ |
सेवा से बाहर: | १३ जनवरी २०१२ |
स्थिति: | गिग्लियो द्वीप के निकट पलटी हुई |
सामान्य विशेषताएँ [2] | |
वर्ग और प्रकार: | कंकोर्डिया-श्रेणी का क्रूज़ जहाज़ |
टनमान: | ११४,१३७ |
लम्बाई: |
290.20 मी॰ (952 फीट 1 इंच) (कुल) 247.4 मी॰ (811 फीट 8 इंच) (सीधा बीच से) |
चौड़ाई: | 35.50 मी॰ (116 फीट 6 इंच) |
कर्षण: | 8.20 मी॰ (26 फीट 11 इंच) |
गहराई: | 14.18 मी॰ (46 फीट 6 इंच) |
डेक: | १३ |
गति: |
१९.६ नॉट (सेवा) २३ नॉट (अधिकतम) |
क्षमता: | 3,780 यात्री |
नाविक संख्या: | 1,100 |
कोस्टा कंकोर्डिया पहला कंकोर्डिया-श्रेणी का क्रूज़ जहाज़ है जिसके पश्च्यात कोस्टा सीरीना, कोस्टा पेसेफिका, कोस्टा फावोलोसा और कोस्टा फासिनोसा की निर्मिती हुई. जब कोस्टा कंकोर्डिया और उसकी बहने कार्यरत की गई तब वे ड्रीम श्रेणी क्रूज़ जहाजों के निर्माण तक सबसे बड़े जहाज़ थे।
१३ जनवरी २०१२ को रात के ९:४५ के करीब कप्तान फ्रांसेस्को शेटिनो की कमान में शांत समुद्र और घटाटोप मौसम के चलते कोस्टा कंकोर्डिया टायरहेनियन समुद्र में गिग्लियो द्वीप के निकट चट्टान से टकरा गई। यह रोम की पश्चिमी सीमा से १०० किमी उत्तर-पश्चिम में है।[4][5] इस टकराव से पतवार की बाएँ ओर ५० मीटर का छेद हो गया जिसके चलते इंजिन कक्ष में तुरंत पानी भर गया और बिजली व पंखो की उर्जा बंद हो गई। भरते पानी के कारण जहाज़ तैरते हुए गिग्लियो द्वीप के पास आ गया जहाँ गिग्लियो पोर्टो गावं से ५०० मीटर दूर यह ज़मीन पर एकतरफा लेट गया।[6][7] जहाज़ में पानी, उर्जा की पूर्ण क्षति और शांत समुद्र में तट की निकटता के बावजूद जहाज़ छोड़ने का आदेश टकराने से एक घंटे तक नहीं दिया गया। आधे से अधिक जहाज़ का हिस्सा पानी के ऊपर था परन्तु यह जल्द ली डूबने की कगार पे था।
यह ३,२२९ यात्री व १,०२३ कर्मीदल ले जा रहा था जिनमे से ३२ को छोड़ कर सभी बचा लिए गए। मार्च २२, २०१२ तक ३० शव निकाले जा चुके है व दो लोग गुमशुदा व मृत घोषित कर दिए गए है।