गोलीय निर्देशांक पद्धति
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गोलीय निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: spherical coordinate system) तीन आयामों (डायमेंशनों) वाले आकाश में प्रयोग होने वाली ऐसी निर्देशांक पद्धति होती है जिसमें उस आकाश में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:[1]
- मूल केंद्र से उस बिंदु की 'त्रिज्या दूरी' (radial distance) - इसके लिए अक्सर 'r' या 'ρ' का चिह्न प्रयोग होता है
- शिरोबिंदु (ज़ेनिथ) की दिशा से उसका 'ध्रुवीय कोण' (polar angle) - इसके लिए अक्सर 'θ' का चिह्न प्रयोग होता है
- मूल समतल से उसका 'दिगंश कोण' (azimuth angle) - इसके लिए अक्सर 'φ' का चिह्न प्रयोग होता है
ज़ाहिर है कि ऐसी पद्धति में पहले से ही किसी मूल केंद्र, शिरोबिंदु दिशा और मूल समतल का चुनाव कर लेना आवश्यक है। इस चुनाव के बाद हर बिंदु का स्थान इन तीनों अंकों - (r, θ, φ) - के आधार पर बतलाया जा सकता है। कभी-कभी 'ध्रुवीय कोण' के स्थान पर 'उत्कर्ष या ऊँचाई कोण' (elevation angle) का प्रयोग होता है जो मूल समतल से ऊँचाई मापता है।