चूड़ाकर्म संस्कार
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हिन्दू धर्म में स्थूल दृष्टि से प्रसव के साथ सिर पर आए बालों को हटाकर खोपड़ी की सफाई करना आवश्यक होता है, सूक्ष्म दृष्टि से शिशु के व्यवस्थित बौद्धिक विकास, कुविचारों के उच्छेदन, श्रेष्ठ विचारों के विकास के लिए जागरूकता जरूरी है। स्थूल-सूक्ष्म उद्देश्यों को एक साथ सँजोकर इस संस्कार का स्वरूप निर्धारित किया गया है। इसी के साथ शिखा स्थापना का संकल्प भी जुड़ा रहता है। हम श्रेष्ठ ऋषि संस्कृति के अनुयायी हैं, हमें श्रेष्ठत्तम आदर्शो के लिए ही निष्ठावान तथा प्रयासरत रहना है, इस संकल्प को जाग्रत रखने के लिए प्रतीक रूप में शरीर के सर्वोच्च भाग सिर पर संस्कृति की ध्वजा के रूप में शिखा की स्थापना की जाती है।
सामान्य तथ्य आस्थादर्शन, ग्रन्थशास्त्र ...
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