दारुल उलूम देवबन्द
भारत का सबसे बड़ा इस्लामिक विश्वविद्यालय / From Wikipedia, the free encyclopedia
दारुल उलूम देवबन्द: भारत में एक इस्लामी मदरसा है जहां से देवबंदी आंदोलन शुरू हुआ था। यह 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के मद्देनजर भारतीय मुस्लिम धर्मशास्त्रियों द्वारा स्थापित किया गया था, जिसने मुगल साम्राज्य के उन्मूलन और दक्षिण एशियाई मुसलमानों की राजनीतिक-आर्थिक दुर्दशा के कारण बना था। इसका उद्देश्य मुस्लिम समाज में सुधार और उत्थान करना था, और आधुनिकता , हिंदुओं एवं ईसाई मिशनरी गतिविधियों के प्रभाव से मुस्लिम संस्कृति को संरक्षित करना था। यह देवबंद में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का कस्बा है।
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सामान्य तथ्य ध्येय, प्रकार ...
लातिन: दारुल उलूम देवबन्द | |
ध्येय | |
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प्रकार | इस्लामी विश्वविद्यालय |
स्थापित | 30 मई 1866 (157 वर्ष पूर्व) (1866-05-30) |
संस्थापक | मुहम्मद क़ासिम नानोत्वी, रशीद अहमद गंगोही, en:Yaqub Nanautawi, en:Rafiuddin Deobandi, en:Sayyid Muhammad Abid, फजलुर रहमान उस्मानी, जुल्फिकार अली देवबंदी[1] |
कुलाधिपति | मजलिस-ए-शुरा |
अधिशिक्षक | अबुल कासिम नोमानी |
छात्र | Approx 5000 |
स्थान | देवबन्द, उत्तर प्रदेश, भारत |
परिसर | देवबन्द |
उपनाम | दारुल उलूम |
जालस्थल | www |
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