ब्रजभाषा
बृज क्षेत्र की भाषा / From Wikipedia, the free encyclopedia
ब्रजभाषा एक क्षेत्रीय ग्रामीण भाषा है जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में बोली जाती है। इसके अलावा यह भाषा हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ जनपदों में भी बोली जाती है। अन्य भारतीय भाषाओं की तरह ये भी संस्कृत से जन्मी है। इस भाषा में प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध है। भारतीय भक्ति काल में यह भाषा प्रमुख रही।
ब्रजभाषा | |
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बृजभाषा | |
बोलने का स्थान | भारत |
तिथि / काल | 2011 जनगणना |
क्षेत्र | ब्रज |
मातृभाषी वक्ता | 16,00,000 |
भाषा परिवार |
भारोपीय
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लिपि | देवनागरी |
भाषा कोड | |
आइएसओ 639-2 | bra |
आइएसओ 639-3 | bra |
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विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी तक ब्रजभाषा भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। विभिन्न स्थानीय भाषाई समन्वय के साथ समस्त भारत में विस्तृत रूप से प्रयुक्त होने वाली हिन्दी का पूर्व रूप यह ‘ब्रजभाषा‘ अपने विशुद्ध रूप में आज भी मथुरा,आगरा,अलीगढ़,भरतपुर और धौलपुर जिलों में बोली जाती है जिसे हम 'केन्द्रीय ब्रजभाषा' भी कह सकते हैं। १९वीं शताब्दी में हिन्दी/हिन्दुस्तानी के आने के पहले ब्रजभाषा और अवधी ही उत्तर-मध्य भारत की दो प्रमुख साहित्यिक भाषाएँ थीं। ब्रजभाषा में ही अनेक भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं की हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि।