मिकोयान-गुरेविच मिग-25
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मिकोयान-गुरेविच मिग-25 (Mikoyan-Gurevich MiG-25) (नाटो रिपोर्टिंग का नाम: फॉक्सबैट) एक सुपरसोनिक इंटरसेप्टर और जासूसी विमान है जो विश्व मे सेवा करने वाले सबसे तेज़ सैन्य विमानों में से एक था। यह सोवियत संघ के मिकॉयन-गुरेविच ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया था। और यह मुख्य रूप से स्टेनलेस स्टील का उपयोग करने वाले निर्मित कुछ युद्ध विमानों में से एक है। यह मिखाइल गुरेविच द्वारा डिजाइन किया गया आखिरी विमान था।[2]
मिग-25 MiG-25 | |
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एक मिग-25पीयू दो-सीट ट्रेनर | |
प्रकार | इंटरसेप्टर और जासूसी विमान |
उत्पत्ति का देश | सोवियत संघ |
उत्पादक | मिकोयान-गुरेविच/ मिकोयान |
प्रथम उड़ान | 6 मार्च 1964 |
आरंभ | 1970 |
स्थिति | सीमित सेवा में |
प्राथमिक उपयोक्तागण | सोवियत वायु रक्षा बल (ऐतिहासिक) भारतीय वायु सेना (ऐतिहासिक) अल्जीरियाई वायु सेना ऑपरेटर्स देखे |
निर्मित | 1964–1984 |
निर्मित इकाई | 1,186[1] |
के रूप में विकसित किया गया | मिकोयान मिग-31 |
पहला प्रोटोटाइप को 1964 में उड़ाया गया था और मिकोयान-गुरेविच मिग-25 विमान ने सेना मे 1970 में प्रवेश किया था। इसकी संचालन की गति मैक 2.83 की है इसे मैक 3.2 तक बड़ाना संभव है लेकिन इंजन को कोई महत्वपूर्ण नुकसान का जोखिम न हो इसलिए इसे मैक 2.83 की संचालन की गति पर चलाते है। और इसमे एक शक्तिशाली रडार और चार एयर-टू-एयर मिसाइल सुविधाएँ है। जब पहली बार जासूसी फोटोग्राफी में मिकोयान-गुरेविच मिग-25 को देखा गया तो फोटोग्राफी मे बड़े विंग का एक विशाल और उच्च गतिशील लड़ाकू विमान को कहा गया। जब अमेरिकी डिजाइनर सिद्धांत भी वियतनाम युद्ध में प्रदर्शन के मुकाबले उच्च गतिशीलता के लिए लड़ाकू विमान विकसित कर रहे थे।
1,190 विमान के बनाने के बाद मिकोयान-गुरेविच मिग-25 का उत्पादन 1984 मे खत्म कर दिया गया था। शीत युद्ध का प्रतीक, मिग-25 सोवियत सहयोगियों और पूर्व सोवियत गणराज्यों की सेना मे शामिल रहा था। बचे हुए शेष कुछ विमानो ने रूस और कई अन्य देशों में सीमित सेवा की थी। यह विश्व का सबसे ज्यादा उड़ान भरने वाले विमानो मे से एक है।[3] और एसआर-71 जासूसी विमान के बाद दूसरा सबसे तेज चलने वाला विमान है।[4]