यूनाइटेड किंगडम में यूरोपीय संघ पर जनमत संग्रह
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यूनाइटेड किंगडम में यूरोपीय संघ पर जनमत संग्रह जिसे यूके में ईयू जनमत संग्रह के नाम से जाना जाता है, 23 जून 2016 को यूनाइटेड किंगडम में हुआ एक जनमत संग्रह है।[1][2]इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि यूके को यूरोपीय संघ में आगे बने रहना चाहिए या इसे छोड़ देना चाहिए। ईयू की सदस्यता यूके में सन् 1973 में इसके यूरोपीय आर्थिक समुदाय में शामिल होने के बाद से ही बहस का मुद्दा रही है।
यूनाइटेड किंगडम में यूरोपीय संघ पर जनमत संग्रह | ||||||||||||||||||||||||||||
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क्या यूनाइटेड किंगडम को यूरोपीय संघ में रहना चाहिये या इसे छोड़ देना चाहिये? | ||||||||||||||||||||||||||||
स्थान | यूनाइटेड किंगडम और जिब्राल्टर | |||||||||||||||||||||||||||
तिथि | 23 जून 2016 (2016-06-23) | |||||||||||||||||||||||||||
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छोड़ो वोट करने वाले नीले में। |
यूके की कंज़र्वेटिव पार्टी के चुनावी घोषणापत्र के अनुसार हाउस ऑफ़ कॉमन्स (यूके की संसद) ने यूरोपोय संघ जनमत संग्रह कानून 2015 के तहत ईयू के सदस्य बने या ना बने रहने के लिये देश में एक जनमत संग्रह कराने की कानूनी घोषणा की। यूके के लोगों से यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिये मत देने के लिये दूसरी बार कहा गया। इसके पहले सन् 1975 में इसमें शामिल होने के लिये जनमत संग्रह कराया गया था जिसमें 67% लोगों ने इसके पक्ष में मतदान किया था।[3] पूर्वोत्तर इंग्लैंड, वेल्स और मिडलैंड्स में से ज्यादातर मतदाताओं ने यूरोपीय संघ से अलग होना पसंद किया जबकि लंदन, स्कॉटलैंड और नॉर्दन आयरलैंड के ज्यादातर मतदाता यूरोपीय संघ के साथ ही रहना चाहते थे।[4]
जनमत संग्रह के नतीजे का ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर नाटकीय असर हो सकता है। ये असर यूरोप और अन्य देशों को भी अपने दायरे में ले सकता है।[4]