लैन्थनाइड
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लैन्थनाइड (Lanthanide) वे तत्व हैं जो 4f-ब्लॉक के लैन्थनम (lanthenam) के बाद आते हैं। चूंकि ये तत्व लैन्थनम के बाद आते हैं, अतः इन्हें लैंथनाइड कहते हैं।
- लैन्थनाइड मे संकुचन
![Thumb image](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/90/Tabla-lant%C3%A1nidos.png)
लैन्थनाइड मे परमाणु क्रमांक बढने के साथ नाभिकीय आकर्षण तो बढ़ता जाता है लेकिन उसे संतुलन करने वाला प्ररिरक्षण प्रभाव उतना नही बढ़ता जिससे उनके आकार मे क्रमिक कमी आती है और उनके परमाणु संकुचित होते जाते हैं। इसे 'लैन्थनाइड संकुचन' कहते हैं। लेथेनाइक से पहले व लेंथनोइड के बाद आने वाले तत्व का आकार लगभग समान होता है।
लेंथेनाइड संकुचन के प्रभाव
(1) लैन्थेनाइडों के गुणों में परिवर्तन- लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इनके रासायनिक गुणों में बहुत कम परिवर्तन होता है। अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है।
(2) अन्य तत्वों के गुणों पर प्रभाव- लैन्थेनाइड संकुचन का लैन्थेनाइडों से पूर्व आने वाले तथा इनके बाद आने वाले तत्वों के आपेक्षिक गुणों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, Ti और Zr के गुणों में भिन्नता होती है, जबकि Zr और Hf गुणों में काफी समानता रखते हैं।