वानप्रस्थ संस्कार
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गृहस्थ की जिम्मेदारियाँ यथा शीघ्र करके, उत्तराधिकारियों को अपने कार्य सौंपकर अपने व्यक्तित्व को धीरे-धीरे सामाजिक, उत्तरदायित्व, पारमार्थिक कार्यों में पूरी तरह लगा देने के लिए वानप्रस्थ संस्कार कराया जाता है। इसी आधार पर समाज को परिपक्व ज्ञान एवं अनुभव सम्पन्न, निस्पृह लोकसेवी मिलते रहते हैं। समाज में व्याप्त अवांछनीयताओं, दुष्प्रवृत्तियों, कुरीतियों के निवारण तथा सत्प्रवृत्तियों, सत्प्रयोजनों के विकास का दायित्व यही भली प्रकार संभाल सकते हैं। ये ही उच्च स्तरीय समाज सेवा, परमार्थ करने के साथ उच्च आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त करने में सफल होते हैं। युग निर्माण अभियान के अंतर्गत इनके भी बड़े सार्थक एवं सफल प्रयोग हो रहे हैं।
सामान्य तथ्य आस्थादर्शन, ग्रन्थशास्त्र ...
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