जीभ
१. मुँह के भीतर रहनेवाले लंबे चिपटे मासपिंड के आकार की वह इंद्रिय जिससे कटु, अम्ल, तिक्त इत्यादि रस / From Wikipedia, the free encyclopedia
{{Infobox Anatomy |
Name = जीभ | Latin = लिंगुआ | french = longue
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। (June 2008) स्रोत खोजें: "जीभ" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
GraySubject = 242 |
GrayPage = 1125 | Image = Tongue.agr.jpg |[[चित्र:]] Caption = A human tongue | Image2 = | Caption2 = | Width = 250 | Precursor = फाय्रंजिल आर्क्स, लैटरल लिंगुअल स्वेलिंग, ट्यूबरकुलम इम्पर | ccjvjkdhfgrghg Artery = lingual, tonsillar branch, scending pharyngeal | Vein = lingual | Nerve = एन्टेरियर 2/3: लिंगुअल नर्व और चोर्डा टैम्पनी पोस्टेरियर 1/3: ग्लौसोफाय्रंजिल नर्व (IX) | Lymph = | MeshName = जीभ | MeshNumber = A03.556.500.885 | Dorlands = eight/000109296 | DorlandsID = Tongue
}}
जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है।[1]