नालन्दा महाविहार
भारत के बिहार प्रान्त के पटना में स्थित प्राचीन महावीहार / From Wikipedia, the free encyclopedia
नालंदा प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत के इतिहास को पढ़ने आया था के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था।[उद्धरण चाहिए]
नालंदा Nalanda | |
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नालंदा महाविहार के अवशेष | |
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स्थान | नालंदा ज़िला, बिहार, भारत |
क्षेत्र | मगध |
प्रकार | विद्यार्जन केन्द्र, प्राचीन विश्विद्यालय |
लम्बाई | 240 मी॰ (800 फीट) |
चौड़ाई | 490 मी॰ (1,600 फीट) |
क्षेत्रफल | 12 हे॰ (30 एकड़) |
इतिहास | |
निर्माता | कुमारगुप्त प्रथम |
स्थापित | 5वी शताब्दी |
परित्यक्त | 13वी शताब्दी |
संस्कृति | बौद्ध धर्म |
घटनाएं | बख्तियार खिलजी द्वारा ल. 1200 CE में नष्ट |
स्थल टिप्पणियां | |
उत्खनन दिनांक | 1915–1937, 1974–1982 |
पुरातत्ववेत्ता | डेविड स्पूनर, हीरानंद शास्त्री, जे ए पेज, ऍम कुरैशी, जी सी चंद्रा, ऍन नाज़िम, अमलानन्द घोष[1] |
सार्वजनिक अभिगम | हाँ |
जालस्थल | ASI |
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | |
आधिकारिक नाम | नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल (नालंदा विश्विद्यालय) |
मानदंड | सांस्कृतिक: iv, vi |
सन्दर्भ | 1502 |
शिलालेख | 2016 (40 सत्र) |
क्षेत्र | 23 हैक्टेयर |
मध्यवर्ती क्षेत्र | 57.88 हैक्टेयर |