पालि भाषा
प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा / From Wikipedia, the free encyclopedia
पालि भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात भाषाओं में एक है जिसे भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात लिपि ब्राह्मी लिपि में लिखा जाता था। इसका प्रमाण सम्राट अशोक के शिलालेखों और स्तंभों से प्राप्त होता है। बुद्धकाल में पालि भाषा भारत के जनमानस की भाषा थी। तथागत बुद्ध ने अपने उपदेश पालि में ही दिए है। धम्म ग्रंथ त्रिपिटक की भाषा भी पाली ही है। पाली भाषा को 'प्रथम प्राकृत' की संज्ञा दी जाती है।
कुछ इतिहासकार पाली को संस्कृत का अपभ्रंश मानते हैं क्योंकि पाली भाषा में ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, ऐ, औ अक्षर नही है। संस्कृत का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में ऋ से ये आसानी से समझा जा सकता है कि पाली भाषा ही संस्कृत का अपभ्रंश है। संस्कृत में 13 स्वर, पालि भाषा में 10 स्वर, प्राकृत में 10 स्वर, अपभ्रंश में 8 तथा हिन्दी में 11 स्वर होते है। पाली भाषा के सर्वप्रथम वैयाकरण कच्चायन थे। उन्होंने पाली भाषा में कुल 41 ध्वनियाँ बताई हैं।