मेलकर्ता
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मेलकर्ता राग कर्नाटक संगीत के मूल रागों का समूह है। मेलकर्ता राग, 'जनक राग' कहलाते हैं जिनसे अन्य राग उत्पन्न किये जा सकते हैं। मेलकर्ता रागों की संख्या बहत्तर (७२) मानी जाती है। मेलकर्ता को 'मेल', 'कर्ता' या 'सम्पूर्ण' भी कहते हैं। विजयनगरम के महान संगीतज्ञ राममात्य ने सन् १५५० में "स्वरमेलकलानिधि" नामक अपने ग्रन्थ में राग व्यवस्था प्रस्तुत की।
हिन्दुस्तानी संगीत का ठाट या पाश्चात्य संगीत का 'स्केल' इसके तुल्य समझे जा सकते हैं। हिन्दुस्तानी संगीत में दस ठाट हैं।