पाब्लो पिकासो
स्पेनी पैदाइश वाला पेंटर आ नक्काश (1881–1973) / From Wikipedia, the free encyclopedia
पाब्लो पिकासो (25 अक्टूबर 1881 – 8 अप्रैल 1973) स्पेनी पैदाइश वाला एगो पेंटर रहलें जिनकर ढेर जिनगी फ्रांस में बीतल आ ऊ पेंटिंग की दुनिया में बहुत प्रसिद्धी हासिल कइलें। बीसवीं सदी क एगो महत्वपूर्ण कलाकार के रूप में पेंटिंग में ऊ 'घनवाद' आ 'कोलाज' के जन्मदाता कहल जालन। ले देमोइज़ेल द'एविनो, गुएर्निका (1937) आ 'द वीपिंद वुमन' (1937) उनकर प्रसिद्ध पेंटिंग के रूप में जानल जालीं। गुएर्निका नाम के पेंटिंग में ऊ दूसरका विश्व युद्ध के भयावहता के चित्रण कइले रहलन।
पाब्लो पिकासो | |
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जनम | पाब्लो डिएगो खोसे फ्रांसिस्को डे पॉवला जुआन नेपोमुचिनो मारिया दे लॉ रेमेदियो सिप्रियानो दे ला सांतिस्मा ट्रिनिडाड रुइज़ पिकासो[1] (1881-10-25)25 अक्टूबर 1881 मलागा, स्पेन |
निधन | 8 अप्रैल 1973(1973-04-08) (उमिर 91) मूजिन, फ्रांस |
समाधि | शटेवू ऑफ वॉवेनार्ग्यू 43.554142°N 5.604438°E / 43.554142; 5.604438 |
राष्ट्रीयता | स्पेनी |
शिक्षा | खोसे रुइज़ ब्लास्को (पिता), रियल एकेडमिया डे बेलास आर्तेस डे सां फरनांदो |
परसिद्धि के कारन | पेंटिंग, रेखांकन, शिल्पकारी, लेखन |
उल्लेखनीय काम | ले देमोइज़ेल द'एविनो गुएर्निका (1937) द वीपिंद वुमन (1937) |
आंदोलन | अतियथार्थवाद, घनवाद |
जीवनसाथी | ओल्गा खोखलोवा (1918–55) जैक़लिन रोक़ (1961–73) |
बीसवीं सदी के पहिला दसक में ऊ आपन पुरान पारंपरिक शैली के छोड़ि के तमाम दूसर विचार आ सिद्धांतन के लेके प्रयोग शुरु कइलें। एह रचनाकाल में पेंटर हैनरी मैटिस उनकरा के पेंटिग में रेडिकल तकनीक इस्तेमाल करे खातिर प्रेरित कइलें। ए दौर में इ दूनों कलाकारन के बीच प्रतिस्पर्धा के वजह से कला जगत के बहुत नायाब चीज हासिल भइली स। एही से आधुनिक कला में ए दूनों कलाकारन के अगुवा मानल जाला।[2][3][4][5]