सोन नदी
भारत में एगो नदी From Wikipedia, the free encyclopedia
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सोन नदी भारत में एगो नदी बा जेवन गंगा नदी क सहायिका नदी हवे। बिचला भारत के पठारी हिस्सा में मध्यप्रदेश के अमरकंटक पहाड़ से निकल के दक्खिन-पच्छिम से उत्तर-पूरुब ओर के बहत ई नदी कुल लगभग 784 किलोमीटर (487 मील) दूरी[1] तय करे के बाद बिहार में आरा के पूरुब आ पटना से कुछ पहिलहीं गंगा में दहिने से मिले ले। गंगा के सहायिका सभ में दहिने से मिले वाली नदी सभ में जमुना नदी के बाद ई दुसरी सभसे बड़ नदी हवे।
भूबिज्ञान के हिसाब से सोन नदी के घाटी, जे लमहर आकृति के घाटी हवे, नर्मदा नदी के भ्रंश-घाटी के आगे बिस्तार मानल जाला आ पूरा भ्रंश (फाल्ट-सिस्टम) के नर्मदा-सोन रिफ्ट घाटी कहल जाला। सोन नदी के खुद सहायिका सभ में ज्यादे एह में बाएँ से आ के मिले लीं जिनहन में रिहंद नदी आ उत्तर कोइल नदी प्रमुख बाड़ी सऽ। नदी के ऊपर डेहरी नाँव के जगह पर बंधा बनावल गइल बा आ इहाँ से सोन नहर निकालल गइल बा।[1] एकरे सहायिका नदी सभ पर भी कई गो बंधा बनावल गइल बाड़ें। नदी पर कई गो पुल भी बाड़ें, एह नदी के निचला हिस्सा जे मैदानी हवे भरपूर आबादी वाला हवे।
सोन चाकर पाट वाली नदी हवे हालाँकि, साल भर एह में ओतना पानी के बहाव ना रहे ला, मानसून के सीजन में एह में भरपूर बाढ़ आवे ले आ ई एह पाट में आपन रस्ता बदलत रहे ले। सोन नदी के बालू खास पीयर भा नारंगी रंग के होला आ मोट दाना के होला। एकरा के पूरबी उत्तर प्रदेश आ पच्छिमी बिहार में ललकी बालू के नाँव से जानल जाला आ ई एह इलाका में दूर-दूर ले बिल्डिंग के ढलाई खाती ले जाइल जाला। नदी के महत्व एकरे ऊपरी थाला में बनल बंधा आ बिजली उत्पादन खाती बा, एकरे दक्खिनी हिस्सा में गोंडवाना सीरीज के चट्टान सभ में कोइला के खान भी पावल जालीं।
सोन के ऊपरी थाला बहुत प्राचीन जमाना से मनुष्य के आबादी वाला रहल हवे आ एह इलाका में पुरा-इतिहास काल के चीज खोदाई में मिलल बाड़ी स जिनहन से भारत के इतिहास के समझे में मदद मिले ला।[2]
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संदर्भ
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