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बिंबिसार
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बिंबिसार (ल॰ 558 – c. 491 BC[1][2] या फिर पाँचवीं सदी ईसापूर्व के अंतिम दौर में[3]) जिनके जैन इतिहास सभ में श्रेणिक के नाँव से भी जानल जाला[4][5], मगध के राजा रहलें (शा॰ 542 – 492 BC[6] या c. 400 BC[7]) आ ई हर्यक बंस के संस्थापक रहलें।[8] इनके पिता के नाँव भट्टीय रहल।[9] इनके द्वारा मगध राज के बिस्तार कइल गइल, खासतौर पर पूरुब में अंग प्रदेश तक ले अपना राज के बिस्तार कइले रहलें। इनके द्वारा कइल गइल एह बिस्तार के, बाद के समय में आवे वाला, मौर्य साम्राज्य, के स्थापना के आधार के रूप में देखल जाला।[10]
बिंबिसार | |
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![]() बिंबिसार द्वारा बुद्ध के आगवानी | |
हर्यक बंस के संस्थापक | |
Reign | ल॰ 544 – c. 492 BC (52 बरिस) भा c. 400 BC |
Predecessor | भट्टीय |
Successor | अजातशत्रु |
Born | 558 BC |
Died | 491 BC |
Spouse | कोसला देवी चेलना क्षेमा |
Issue | अजातशत्रु, अभय |
Dynasty | हर्यक |
Father | भट्टीय |
Religion | जैन धर्म, बौद्ध धर्म |
बिंबिसार के सांस्कृतिक उपलब्धि खाती भी जानल जाला। ई भगवान बुद्ध के समकालीन, उनके मित्र आ संरक्षक रहलें।[11] बौद्ध ग्रंथ सभ में बर्णित प्रसिद्ध राजगीर नाँव के शहर के स्थापना के श्रेय भी इनहीं के दिहल जाला। इनका बाद इनके बेटा अजातशत्रु गद्दी पर बइठलें।[10]