इस्लाम में धर्मत्याग
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इस्लाम में धर्मत्याग (अरबी : ردة रिद्दा या ارتداد इर्तिदाद) का अर्थ किसी मुस्लिम द्वारा सोच-समझकर इस्लाम का त्याग करने से है।[1] इसके अन्तर्गत किसी दूसरे धर्म को अपनाना, भी सम्मिलित है।[2] इस्लाम का त्याग की परिभाषा तथा उसके लिये निर्धारित दण्ड अत्यन्त विवादास्पद हैं तथा इस पर इस्लामी विद्वानों के अलग-अलग विचार हैं।[3]
१९वीं शताब्दी के अन्तिम चरण तक अधिकांश सुन्नी और शिया न्यायविद यही राय रखते थे कि वयस्क पुरुष द्वारा इस्लाम का त्याग एक अपराध के साथ-साथ एक पाप है और धर्मद्रोह है और इसके लिए उसे जान से मार दिया जाना चाहिए।[4]
सेक्युलर आलोचकों [5]का तर्क है कि इस्लाम-त्यागने के लिए जान से मारना या अन्य दण्ड देना सार्वभौम मानवाधिकारों का उल्लंघन है।[6]