काउबॉय
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उत्तरी अमेरिका में फार्मों के पशुओं की रखवाली करने वाले को काउबॉय कहा जाता है, परंपरागत रूप से घोड़े पर सवार होकर वह यह काम करता है और अक्सर फ़ार्म संबंधित अन्य अनेक प्रकार के काम भी किया करता है। 19वीं शताब्दी के अंत में यह ऐतिहासिक अमेरिकी काउब्वॉय उत्तरी मेक्सिको के वाकुएरो (काउब्वॉय का एक स्थानीय नाम) परंपराओं से उत्पन्न हुआ और इसने विशेष महत्व का आकार ग्रहण कर लिया और एक दंतकथा बन गया।[1] इसके एक उपप्रकार (सबटाइप) को रैंगलर (अश्वपाल) कहते हैं, जो विशेष रूप से मवेशियों के काम में प्रयोग किये जाने वाले घोड़ों की देखभाल करता है। फार्म या खेत के काम के अलावा, कुछ काउबॉय रोडीओ (घुड़सवार चरवाहों की सार्वजनिक प्रतिस्पर्धा) के लिए काम करते हैं या उसमें भाग लेते हैं। काउगर्ल्स, 19वीं सदी के अंत में पहली बार इस तरह परिभाषित, की ऐतिहासिक भूमिका का बहुत कम दस्तावेजी प्रमाण है, लेकिन आधुनिक दुनिया में इन्होने बिल्कुल समान कार्य करने की अपनी क्षमता स्थापित की है और अपनी उपलब्धियों के लिए यथेष्ट सम्मान प्राप्त किया है।[2] विश्व के अन्य अनेक भागों में भी काउबॉय या मवेशियों के प्रबंधकर्ता हुआ करते हैं, खासकर दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में, जो अपने देशों में काउबॉय जैसे ही काम किया करते हैं।
स्पेन और अमेरिकों (Americas) के शुरुआती यूरोपीय अधिवासियों में काउबॉय की गहरी ऐतिहासिक जड़ें पायी जाती हैं। सदियों से, इलाकों में भिन्नता, जलवायु और अनेक संस्कृतियों की चरवाहा परंपराओं के प्रभाव ने उपकरणों, पोशाकों और पशुओं के प्रबंध की अनेक अलग शैलियों का निर्माण किया। नित्य-व्यावहारिक काउबॉय को आधुनिक दुनिया के लिए अनुकूलित किया गया, तब काउबॉय के उपकरण और तकनीक को भी कुछ हद तक अनुकूलित करना पड़ा, हालांकि अनेक क्लासिक परंपराएं आज भी संरक्षित हैं।