कृष्णनगर, नदिया
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कृष्णनगर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के नदिया ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
कृष्णनगर কৃষ্ণনগর | |
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कृष्णनगर महल | |
निर्देशांक: 23.216°N 88.562°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | पश्चिम बंगाल |
ज़िला | नदिया ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,81,182 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | बांग्ला |
श्री चैतन्य महाप्रभु की मातृभूति नवद्वीप भगीरथी नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। पर्यटक कृष्णनगर से आसानी से नवद्वीप तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि यह कृष्ण्नगर से मात्र 20 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। पहले नवद्वीप पर सेन वंश का शासन था। उन्होंने यहां पर अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया था। इन मन्दिरों में द्ववादास सहिब मन्दिर प्रमुख हैं। इस सुन्दर मन्दिर का निर्माण 1835 ई. में किया गया था। मन्दिर की दीवारों को फूलों के चित्रों से सजाया गया है जो इसकी सुन्दरता को कई गुणा बढ़ा देते हैं। इस मन्दिर में चैतन्य महाप्रभु के सुन्दर चित्रों और प्रतिमाओं के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
मायापुर अपने शानदार मन्दिरों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। इन मन्दिरों में भगवान श्री कृष्ण को समर्पित इस्कान मन्दिर प्रमुख है। मन्दिरों के अलावा पर्यटक यहां पर सारस्वत अद्वैत मठ और चैतन्य गौडिया मठ की यात्रा भी कर सकते हैं। होली के दिनों मे मायापुर की छटा देखने लायक होती है क्योंकि उस समय यहां पर भव्य रथयात्रा आयोजित की जाती है। यह रथयात्रा आपसी सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक मानी जाती है।
शांतिपुर में पर्यटक तोपखाना मस्जिद के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। इसका निर्माण फौजदार गाजी मोहम्मद यार खान ने मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में 1703-1704 ई. में कराया था। इस मस्जिद में एक बड़ा गुम्बद और आठ मिनारें हैं जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। पर्यटक इन मिनारों और गुम्बद की तस्वीरें अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
नदिया का शांतिपुर 9वीं शताब्दी से संस्कृत, साहित्य और वैदिक शिक्षा का बड़ा केन्द्र भी रहा है। उस समय यहां पर अनेक मन्दिरों का निर्माण किया गया था। इन सभी मन्दिरों का निर्माण विभिन्न शैलियों में बड़ी खूबसूरती के साथ किया गया था। शांतिपुर के मन्दिरों में श्याम चन्द मन्दिर, जलेश्वर और अद्वैत प्रभु मन्दिर प्रमुख हैं। अपने शानदार मन्दिर-मस्जिदों के साथ-साथ यह अपनी बुनाई कला के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर भारत की बेहतरीन साड़ियों में से तांत साड़ी तैयार की जाती है।
नदिया में पर्यटक प्लासी की सैर कर सकते हैं। प्लासी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई थी। युद्ध के बाद लार्ड कर्जन ने यहां पर अंग्रेजों की जीत का स्मारक भी बनवाया था। इस स्मारक को पर्यटक आज भी यहां पर देख सकते हैं।
शिवनिवास कृष्णगंज में स्थित है। पहले यहां पर राजा कृष्ण चन्द्र राय का शासन था। उन्होंने यहां पर 1754 ई. में भगवान शिव को समर्पित राज राजेश्वर मन्दिर का निर्माण कराया था। कहा जाता है कि इस मन्दिर में जो शिवलिंग हैं वह पूरे एशिया में सबसे बड़ा है। राज राजेश्वर मन्दिर के पास 1762 ई. में संयुक्त रूप से दो मन्दिरों का निर्माण किया गया था। इन दोनों मन्दिरों के नाम रागनीश्वर मन्दिर और राम-सीता मन्दिर हैं। स्थानीय निवासी इनको बूरो-सहिब के नाम से पुकारते हैं। इन मन्दिरों में पर्यटक गोथिक निर्माण कला की छाप देख सकते हैं।
दिल्ली, मम्बई समेत देश के प्रमुख भागों से कोलकाता के लिए नियमित वायुसेवा है। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा से पर्यटक बसों व टैक्सियों द्वारा आसानी से नदिया तक पहुंच सकते हैं।
नदिया पहुंचने के लिए रेल मार्ग काफी अच्छा विकल्प है। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां पर रेलवे स्टेशन का निर्माण भी किया गया है।
कोलकाता से नदिया तक सड़कमार्ग की दूरी मात्र 100 कि॰मी॰ है। बसों और टैक्सियों द्वारा पर्यटक कोलकाता से नदिया तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
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