केरल का संगीत
केरल के संगीत का इतिहास / From Wikipedia, the free encyclopedia
संगीत का श्रव्यकला के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके दो पक्ष हैं लोकगीत तथा शास्त्रीय संगीत। अनुष्ठान कलाओं से जुडे लोकगीत, देवता स्तुतिपरक गीत, श्रम से जुडे गीत, तिरुवातिरक्कळी, कुम्मि, कोलाट्टम और मनोरंजन केलिए पुराण कथागीत, वंचिप्पाट्टुकल आदि लोकगीतों के भेद हैं। केरल में अनेक वाद्ययंत्र है जो लोक संगीत से जुडे हैं।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2014) स्रोत खोजें: "केरल का संगीत" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
यहाँ संगीत शास्त्र नियमों के आधार पर शास्त्रीय गीतों की रचना हुई। वाद्य संगीत तथा वाद्य रहित संगीत दोनों इस विभाग में आते हैं। सोपान संगीत, कथकळि गीत, पंचवाद्य, चेण्डमेलम इत्यादि शास्त्रीय संगीत के अंतर्गत आते हैं।