खीर भवानी मंदिर
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खीर भवानी, क्षीर भवानी या राज्ञा देवी मंदिर भवानी देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जम्मू और कश्मीर के गान्दरबल ज़िले में तुलमुल[lower-alpha 1] गाँव में एक पवित्र पानी के चश्मे के ऊपर स्थित है। यह श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर है। खीर भवानी देवी की पूजा लगभग सभी कश्मीरी हिन्दू करते हैं। पारंपरिक रूप से वसंत ऋतू में मंदिर में खीर चढ़ाया जाता था इसलिए नाम 'खीर भवानी' पड़ा।[5] इन्हें महारज्ञा देवी[lower-alpha 2] के नाम से जाना जाता है।[6] (यहाँ नाम मैं महा, माता, भगवती और देवी आदरसूचक है।) ऐसी मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी के सदृष, आपदा के आने से पहले ही मंदिर के कुण्ड का पानी काला पड़ जाता है।[7][8]
खीर भवानी | |
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क्षीर भवानी, महारज्ञा देवी मंदिर, तुल मुल मंदिर | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | भवानी, महारज्ञ भगवती |
त्यौहार | खीर भवानी मेला, ज्येष्ठ अष्टमी |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | तुल मुल, गान्दरबल ज़िला, जम्मू और कश्मीर |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 34°13′16″N 74°43′48″E |
वास्तु विवरण | |
संस्थापक | हनुमान |
स्थापित | रामाणय काल |
अवस्थिति ऊँचाई | 1,592 मी॰ (5,223 फीट) |
जम्मू और कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह और महाराजा हरि सिंह ने मंदिर के निर्माण और जीर्णोद्धार में योगदान दिया है।[9] इस क्षेत्र में खीर भवानी के अन्य मंदिर हैं । टिक्कर, कुपवाड़ा में माता खीर भवानी मंदिर को भारतीय सेना द्वारा पुनर्निर्मित किया गया है।[10] 2021 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय राजनेता राहुल गांधी देवी को श्रद्धांजलि देने मंदिर आए।[11][12]
पौराणिक कथा के अनुसार रावण की भक्ति से महारज्ञा देवी प्रसन्न थी और उनके सामने प्रकट हुई । रावण को सीलोन में स्थापित देवी की एक छवि मिली। हालांकि, रावण की निर्ममता से देवी नाराज हो गईं। हनुमान की सहायता से वह तुलमुल के पास आई।[8]
यहां बसंत का रंग बदलता है। 1886 में वाल्टर लॉरेंस [en] ने वसंत के पानी में बैंगनी रंग होने की सूचना दी।[13]
जब १८९० के दशक में स्वामी विवेकानंद कश्मीर गए, खीर भवानी की पूजा करते हुए मंदिर की स्थिति ने उन्हें चिंतित कर दिया। स्वामी विवेकानंद के पूर्ण कार्यों में, विवेकानंद से देवी कहती हैं, "मेरी इच्छा है कि मैं एक जीर्ण-शीर्ण मंदिर में रहूं, अन्यथा, मैं चाहूं तो क्या मैं तुरंत यहां सोने का सात मंजिला मंदिर नहीं बना सकती। आप क्या सहायता कर सकते हैं? क्या मैं आपकी रक्षा करूं या आप मेरी रक्षा करेंगे!"[14][15]
जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद खीर भवानी मंदिर अधिक लोकप्रिय तीर्थों में से एक है।[16][17] यहाँ ज्येष्ठ अष्टमी मनाया जाता है।[18][18] प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर 18 जून 2021 पर, सभी को, विशेषकर कश्मीरी हिन्दू समुदाय को, बधाई दी।[19]
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