चंद्रदेव
नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह / From Wikipedia, the free encyclopedia
चन्द्र देव (संस्कृत: चन्द्र), जिसे सोम के रूप में भी जाना जाता है, एक हिन्दू देवता है जो चन्द्रमा का देवता माना जाता है। यह रात्रि के समय रोशन करने के लिए रात्रि, पौधों और वनस्पति से सम्बंधित माना जाता है। ब्रह्मा का चन्द्र रूप लेने का मूल उद्देश्य था कि रात्रि काल में पाप न हो। इन्हें नवग्रह (हिन्दू धर्म में नौ ग्रह) और दिक्पाल (दिशाओं के पालक) में से एक माना जाता है।[1] पुराणों के अनुसार इनके पिता का नाम महर्षि अत्रि और माता का नाम देवी अनुसूया था। चंद्रदेव का विवाह दक्ष प्रजापति और वीरणी की साठ में से सत्ताईस कन्याओं के साथ हुआ था और इन्हीं कन्याओं को सत्ताईस नक्षत्र भी कहा गया है। इन कन्याओं में चंद्र रोहिणी से सर्वाधिक प्रेम करते थे।
सामान्य तथ्य चंद्र देव, अन्य नाम ...
चंद्र देव | |
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जल तत्व के अधिष्ठाता देवता रात, पौधे, अवैध संभोग, चंद्रमा और वनस्पति के देवता | |
अन्य नाम | सोम , रोहिणीनाथ , अत्रिपुत्र ,अनुसूयानंदन , शशि , चन्द्र, मयन्क आदि |
संस्कृत लिप्यंतरण | चंद्र |
संबंध | ग्रह एवं देव और ब्रह्मा का अवतार |
निवासस्थान | चंद्र लोक |
ग्रह | चंद्र |
मंत्र | ॐ सोम सोमय नमः |
अस्त्र | रस्सी और अमृत पात्र |
जीवनसाथी | रोहिणी(मुख्य पत्नी),रेवती , कृतिका , मृगशिरा , आद्रा, पुनर्वसु , सुन्निता , पुष्य अश्व्लेशा , मेघा , स्वाति ,चित्रा , फाल्गुनी , हस्ता , राधा , विशाखा ,अनुराधा , ज्येष्ठा , मुला , अषाढ़ , अभिजीत ,श्रावण , सर्विष्ठ , सताभिषक , प्रोष्ठपदस ,अश्वयुज और भरणी |
माता-पिता | |
भाई-बहन | दत्तात्रेय, दुर्वासा |
संतान | वर्चस , बुध और अभिमन्यु (सुभद्रा और चंद्र के पुत्र) |
सवारी | मृग का रथ |
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