टीकाकरण से संकोच
अनिच्छा या टीकाकरण से इनकार करना / From Wikipedia, the free encyclopedia
टीकाकरण से संकोच (अंग्रेज़ी: Vaccine hesitancy) का तात्पर्य स्वयं टीकाकरण से इंकार करने या अपने बच्चों को छूत के रोगों से बचाव करने वाले टीकों से वंचित रखने से होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानना है कि 2019 में यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष दस खतरों में आता है। [1] [2] यह शब्द टीकाकरण करवाने से सीधे तौर पर मना करने, टीके लगवाने में देरी करने, टीकों को स्वीकार करने के बावजूद उनके उपयोग के बारे में अनिश्चित रहने या किन्हीं विशेष टीकों का उपयोग करने से इनकार करने को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है। [3][4] विश्व भर के वैज्ञानिकों ने भारी मात्रा में अनुसंधान करने के बाद इस बात पर सहमति जताई है कि टीकाकरण का विरोध करने वाले आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। [5][6][7][8]
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संकोच मुख्य रूप से वैक्सीन से संबंधित चिकित्सा, नैतिक और कानूनी मुद्दों पर होने वाली सार्वजनिक बहस से उत्पन्न होता है। इसके कई प्रमुख कारक हैं, जिनमें आत्मविश्वास की कमी (वैक्सीन और / या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता का अविश्वास), टीका अनावश्यक समझना (व्यक्ति को वैक्सीन की आवश्यकता नहीं दिखती है या वैक्सीन का मूल्य नहीं दिखता है), और सुविधा (टीकों तक पहुंच न होना) शामिल है। [9] यह भ्रम टीकाकरण के आविष्कार के बाद से ही अस्तित्व में है, और लगभग 80 वर्षों से "वैक्सीन" और "टीकाकरण" शब्दों की उत्पत्ति से पहले से ही चलता रहा है। टीकाकरण विरोधी अधिवक्ताओं की विशिष्ट परिकल्पनाएँ समय के साथ बदलती पाई गई हैं। [10] टीकाकरण से संकोच से अक्सर महामारी फैलने और उन जानलेवा संक्रमणों के फैलने का ख़तरा रहता है, जिनसे बचाव टीकाकरण द्वारा सम्भव है। [11][12][13][14][15][16]