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पदार्थ के वेग परिवर्तन की दर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड² (m/s²) होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं।
उदाहरण: माना समय t=० पर कोई कण १० मीटर/सेकेण्ड के वेग से उत्तर दिशा में गति कर रहा है। १० सेकेण्ड बाद उसका वेग बढ़कर ३० मीटर/सेकेण्ड (उत्तर दिशा में) हो जाता है। यह मानते हुए कि इस समयान्तराल में त्वरण का मान नियत है, त्वरण का मान
सामान्यतः वस्तु की गति की अवधि में उसके वेग में परिवर्तन होता रहता है। वेग में हो रहे इस परिवर्तन को कैसे व्यक्त करें। वेग में हो रहे इस परिवर्तन को समय के सापेक्ष व्यक्त करना चाहिए या दूरी के सापेक्ष? यह समस्या गैलिलैयो के समय भी थी। गैलिलैयो ने पहले सोचा कि वेग में हो रहे परिवर्तन की इस दर को दूरी के सापेक्ष व्यक्त किया जा सकता है किन्तु जब उन्होंने मुक्त रूप से गिरती हुई तथा नत समतल पर गतिमान वस्तुओं की गति का विधिवत् अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि समय के सापेक्ष वेग परिवर्तन की दर का मान मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तुओं हेतु, स्थिर रहता है जबकि दूरी के सापेक्ष वस्तु का वेग परिवर्तन स्थिर नहीं रहता वरन जैसे-जैसे गिरती हुई वस्तु की दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे यह मान घटता जाता है। इस अध्ययन ने त्वरण की वर्तमान धारणा को जन्म दिया जिसके अनुसार त्वरण को हम समय के सापेक्ष वेग परिवर्तन के रूप में परिभाषित करते हैं।
जब किसी वस्तु का वेग समय के सापेक्ष बदलता है तो उसमें त्वरण हो रहा है । वेग में परिवर्तन तथा तत्सम्बन्धित समयान्तराल के अनुपात को औसत त्वरण कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं:
यहां t0,t क्षणों पर वस्तु का वेग क्रमशः v0,v है। यह एकांक समय में वेग में औसत परिवर्तन होता है। त्वरण का SI मात्रक ms² है ।
वेग-समय (v-t) ग्राफ से वस्तु का औसत त्वरण उस सरल रेखा की प्रावण्य के बराबर होता है जो बिन्दु (v, t) को बिन्दु (v0, t0) से जोड़ती है।
गतिमान वस्तु का तात्क्षणिक त्वरण उसके औसत त्वरण के समान होगा यदि उसके दो समयों (t तथा (t+∆t)) के मध्य का अन्तराल (∆t) अनन्तसूक्ष्म हो। तात्क्षणिक त्वरण समय के एक अनन्तसूक्ष्म अन्तराल पर औसत त्वरण की सीमा है। कलन के सन्दर्भ में, तात्क्षणिक त्वरण समय के सापेक्ष वेग सदिश का अवकलज है:
जैसा कि त्वरण को वेग, v, का समय t के सापेक्ष अवकलज के रूप में परिभाषित किया गया है और वेग को स्थिति, x, का समय के सापेक्ष अवकलज के रूप में परिभाषित किया गया है, त्वरण को t के सापेक्ष x के द्वितीय अवकलज के रूप में माना जा सकता है:
कलन का मूलभूत प्रमेय द्वारा, यह देखा जा सकता है कि त्वरण फलन a(t) का समाकलज वेग फलन v(t) है; अर्थात्, त्वरण बनाम समय (a-t) ग्राफ के वक्र के नीचे का क्षेत्र वेग के परिवर्तन से मेल खाता है।
किसी वक्र पथ पर गति करते हुए कण का वेग समय के फलन के रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है-
जहाँ v(t) पथ की दिशा में वेग है, तथा
गति की दिशा में गतिपथ के स्पर्शरेखीय इकाई सदिश है। ध्यान दें कि यहाँ v(t) तथा ut दोनों समय के साथ परिवर्तन्शील हैं, त्वरण की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जायेगी:[1]
जहाँ un इकाई नॉर्मल सदिश (अन्दर की तरफ) है तथा r उस क्षण पर वक्रता त्रिज्या है। त्वरन के इन दो घटकों को क्रमशः स्पर्शरेखीय त्वरण (tangential acceleration) तथा नॉर्मल त्वरन या त्रिज्य त्वरण या अभिकेन्द्रीय त्वरण (centripetal acceleration) कहते हैं।
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