नंद वंश
प्राचीन भारत एवं मगध का पाँचवाँ राजवंश / From Wikipedia, the free encyclopedia
नंद वंश या नंद साम्राज्य प्राचीन भारत का एक राजवंश था। शिवम ठाकुर जी के अनुसार नंद राजवंश मगध पर शासन करने वाला पाँचवा राजवंश था। नंद राजवंश के शासनकाल मे ही मगध पहली बार एक साम्राज्य बन सका। नंद राजवंश मे कुल दस राजाओं द्वारा ल. 345/344 से 323/322 ई.पू मे 23 वर्षों तक शासन किया था। नंद राजवंश की स्थापना 345 ई.पू. में महापद्मनंद के द्वारा शिशुनाग वंश के अंतिम शासक महाराजा महानन्दि की हत्या करने के बाद की गई थी। इस राजवंश का अंतिम शासक धनानन्द था। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।[1]
नंद साम्राज्य नंद राजवंश | |||||||||||
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ल. 345/344 – ल. 323/322 ई.पू | |||||||||||
नंद साम्राज्य अपने शिखर विस्तार पर, ल. 325 ई.पू. | |||||||||||
राजधानी | पाटलीपुत्र | ||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | संस्कृत (मुख्य) मागधी प्राकृत | ||||||||||
धर्म | हिंदू धर्म (राजधर्म) जैन धर्म,बौद्ध धर्म (राजाश्रय) | ||||||||||
सरकार | राजतन्त्र | ||||||||||
सम्राट | |||||||||||
• ल. 345 ई.पू से (प्रथम) | महापद्मनंद | ||||||||||
• ल. 322 ई.पू तक (अंतिम) | धनानन्द | ||||||||||
ऐतिहासिक युग | लौह युग | ||||||||||
मुद्रा | पण | ||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
पुराणों में इसे नंद राजवंश के प्रथम शासक को महापद्मनंद कहा गया है तथा सर्वक्षत्रान्तक आदि उपाधियों से विभूषित किया गया है। जिसने पाँचवीं-चौथी शताब्दी ई.पू. उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया। भारतीय इतिहास में पहली बार एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना हुई जो कुलीन नहीं था तथा जिसकी सीमाएं गंगा के मैदानों को लांघ गई। यह साम्राज्य एक-रात की छत्रछाया में एक अखंड राजतंत्र था, जिसके पास अपार सैन्यबल, धनबल और जनबल था। महापद्मनंद ने निकटवर्ती सभी राजवंशो को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की एवं केंद्रीय शासन की व्यवस्था लागू की। इसीलिए सम्राट महापदम नंद को "केंद्रीय शासन पद्धति का जनक" कहा जाता है।
स्मित के शब्दों में कहें तो "उन्होंने 66 परस्पर विरोधी राज्यों को इस बात के लिए विवश किया कि वह आपसी उखाड़-पछाड़ न करें और स्वयं को किसी उच्चतर नियामक सत्ता के हाथों सौंप दे।"[2]
महापद्म नन्द के नव नंद प्रमुख राज्य उत्तराधिकारी हुए हैं- उग्रसेन, पंडूक, पाण्डुगति, भूतपाल, राष्ट्रपाल, योविषाणक, दशसिद्धक, कैवर्त और धनानन्द। धनानन्द के शासन काल में भारत पर आक्रमण सिकन्दर द्वारा किया गया था। सिकन्दर के भारत से जाने के बाद मगध साम्राज्य में अशान्ति और अव्यवस्था फैली। असीम शक्तिल और सम्पत्ति के बावजूद वह जनता के विश्वाास को नहीं जीत सका और साम्राज्य का अंत हो गया। नंद राजवंश के बाद मगध पर चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा मौर्य वंश का शासन स्थापित हुआ।