नाइट्रिक अम्ल
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नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid) (), एक अत्यन्त संक्षारक (कोरोसिव) खनिज अम्ल है। इसे एक्वा फ्रोटिस (aqua fortis) और 'स्पिरिट ऑफ नाइटर' भी कहते हैं।
नाइट्रिक अम्ल | |
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आईयूपीएसी नाम | नाइट्रिक अम्ल (Nitric acid) |
अन्य नाम | Aqua fortis, Spirit of niter, Eau forte, Hydrogen nitrate, Acidum nitricum |
पहचान आइडेन्टिफायर्स | |
सी.ए.एस संख्या | [7697-37-2][CAS] |
पबकैम | 944 |
EC संख्या | 231-714-2 |
UN संख्या | 2031 |
केईजीजी | D02313 |
MeSH | Nitric+acid |
रासा.ई.बी.आई | 48107 |
RTECS number | QU5775000 |
SMILES | [N+](=O)(O)[O-] |
InChI | 1/HNO3/c2-1(3)4/h(H,2,3,4) |
जी-मेलिन संदर्भ | 1576 |
कैमस्पाइडर आई.डी | 919 |
3DMet | {{{3DMet}}} |
गुण | |
रासायनिक सूत्र | HNO3 |
मोलर द्रव्यमान | 63.01 g mol−1 |
दिखावट | Colorless, yellow or red fuming liquid[1] |
गंध | acrid, suffocating[1] |
घनत्व | 1.5129 g cm−3 |
गलनांक |
-42 °C, 231 K, -44 °F |
क्वथनांक |
83 °C, 356 K, 181 °F |
जल में घुलनशीलता | Completely miscible |
वाष्प दबाव | 48 mmHg (20 °C)[1] |
अम्लता (pKa) | -1.4[2] |
रिफ्रेक्टिव इंडेक्स (nD) | 1.397 (16.5 °C) |
Dipole moment | 2.17 ± 0.02 D |
Thermochemistry | |
फॉर्मेशन की मानक एन्थाल्पीΔfH |
−207 kJ·mol−1[3] |
मानक मोलीय एन्ट्रॉपी S |
146 J·mol−1·K−1[3] |
खतरा | |
EU वर्गीकरण | C साँचा:Hazchem O साँचा:Hazchem T+ |
NFPA 704 | |
R-फ्रेसेज़ | साँचा:R8 R35 |
S-फ्रेसेज़ | (S1/2) साँचा:S23 S26 S36 S45 |
स्फुरांक (फ्लैश पॉइन्ट) | Non-flammable |
यू.एस अनुज्ञेय अवस्थिति सीमा (पी.ई.एल) |
TWA 2 ppm (5 mg/m3)[1] |
Related compounds | |
Other आयन | Nitrous acid |
Other cations | Sodium nitrate Potassium nitrate Ammonium nitrate |
जहां दिया है वहां के अलावा, ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं। ज्ञानसन्दूक के संदर्भ |
कीमियागरों को नाइट्रिक अम्ल का ज्ञान था, जिसे वे ऐक्वा फॉर्टिस के नाम से पुकारते थे। प्रसिद्ध कीमियागर जेबर ने नाइटर (niter) और ताम्र सल्फेट, (Cu SO4) तथा फिटकरी के साथ आसवन से प्राप्त कर इसका वर्णन किया है। भारत में शोरा तथा नाइट्रिक अम्ल का १६वीं शताब्दी में ज्ञान था। शुक्राचार्य के ग्रंथ शुक्रनीति में बारूद बनाने के लिए इसे उपयोग का वर्णन हुआ है। उड़ीसा के गजपति प्रतापरुद्रदेव द्वारा लिखित ग्रंथ 'कौतुकचिंतामणि' में यवक्षार (साल्टपीटर) का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त सुवर्णतंत्र ग्रंथ (लगभग १७वीं शताब्दी में लिखा गया) में 'शंखद्राव' का वर्णन है, जो शोरे और नमक के अम्लों (HCl) का मिश्रण था। आईने अकबरी ग्रंथ में रासी (शोरे के अम्ल) का वर्णन है, जिसका चाँदी को स्वच्छ करने में उपयोग हो सकता था।
वर्ष १६४८ ई॰ में ग्लॉबर (Glauber) ने नाइटर पर विट्रियल तेल (oil of vitreol) की अभिक्रिया द्वारा संद्र नाइट्रिक अम्ल का निर्माण किया। कैवेंडिश ने १७७६ ई॰ में इसका संघटन ज्ञात किया। वायुमंडल में नाइट्रिक अम्ल विद्युत विसर्जन (electric discharge) द्वारा सूक्ष्म मात्रा में बनता रहता है, जो वर्षाजल में घुलकर पृथ्वी पर आता है। मिट्टी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण द्वारा भी नाइट्रिक अम्ल बनता है। यह अम्ल अनेक नाइट्रेट पदार्थों के रूप में भूमि में संचित होकर पौधों के उपयोग में आता है। नाइट्रेट यौगिकों का प्रमुख स्रोत चिली देश है। भारत की साँभर झील में पोटाशियम नाइट्रेट पाया जाता है। भारत के कुछ राज्यों में मिट्टी के साथ मिला हुआ पोटासियम नाइट्रेट पाया जाता है। इससे एक समय प्रचुर मात्रा में शोरा (व्यापारिक पोटासियम नाइट्रेट) तैयार होता था।