Loading AI tools
सिखों का पवित्र त्रिकोणीय ध्वज। विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
निशान साहिब या निशान साहब सिखों का पवित्र त्रिकोणीय ध्वज है। यह पर्चम कपास या रेशम के कपड़े का बना होता है, इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है। इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़ैहराया जाता है। झंडे के केंद्र में तलवार, ढाल , कटार होता है।
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। (अप्रैल 2013) स्रोत खोजें: "निशान साहिब" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
निशान साहिब खालसा पंथ का पारंपरागत प्रतीक है। काफ़ी ऊंचाई पर फ़ैहराए जाने के कारण निशान साहिब को दूर से ही देखा जा सकता है। किसी भी जगह पर इसके फहरने का दृष्य, उस मौहल्ले में खालसा पंथ की मौजूदगी का प्रतीक माना जाता है। हर बैसाखी पर इसे नीचे उतार लिया जाता है और एक नए पर्चम से बदल दिया जाता है।
सिख इतिहास के प्रारंभिक काल में निशान साहिब की पृष्ठभूमि लाल रंग की थी। फ़िर इस का रंग सफ़ेद हुआ और फिर केसरिया। सन् १६०९ में पहली बार गुरु हरगोबिन्दजी ने अकाल तख़्त पर केसरिया निशान साहिब फहराया था। बहरहाल, निहंग द्वारा प्रबंधित किए गए गुरुद्वारों में निशान साहिब के पृष्ठभूमि का रंग इस्पाती नीला होता है। सिंहा के अनुसार, गुरु हरगोबिन्द ने निशान साहिब का इस्तेमाल शुरू किया था, परंतु खंडा के इस्तेमाल बाद में किया जाने लगा(संभवतः १९वीं सदी में)।[1] मैकलेओड के अनुसार, निरंकर्णी सतगुरु दरबार सिंह (१८५५-७०) ने एक लाल निशान साहिब फहराया था एक प्रतीक के रूप में, उनके अभियान के चिन्ह के रूप में जो "सिखों की ब्राह्मण चंगुल से मुक्ती" को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता था।[2] यह सिख साम्राज्य का भी ध्वज था।
निशान साहिब हर गुरुद्वारे के बाहर एक ऊंचे लकड़ी या धातु रचित ध्वजडंड द्वारा फ़ैहराया जाता है।
यह ध्वज त्रिकोंणियाकारी होता है। इसके केसरिया पृष्ठभूमि पर केंद्र में एक नीले रंग का खंडा, अंकित होता है। आम तौर पर जब की इसकी पृष्ठभूमि केसरिया रंग की होती है परंतू यह(कुछ मौकों पर) अन्य रंगों में भी प्रदर्शित हो सकता है। निशान साहब की मेज़बानी कर रहे ध्वजडंड के शिखर पर(डंडमुकुट के रूप में) एक खंडा लगा होता है। ध्वजडंड के कलश पर खंडे की मौजूदगी इस बात का प्रतीक है की हर सिख और बलकी कोई भी व्यक्ती उस भवन में प्रवेश करने के लिये स्वतंत्र है और बेफ़िक्र होकर ईश्वर की अराधना कर सकता है। सिख समाज में निशान साहब का बहुत सम्मानित स्थान है और इसे बहुत इज़्ज़त के साथ रखा जाता है[3]। इस ध्वज को पवित्र माना जाता है इसलिए हर साल बैसाखी के पर्व के दौरान इसे दूध और पानी से पवित्र किया जाता है[4] और जब निशान साहिब का केसरिया रंग फीका पड़ जाता है तब एक नए एवं नवीन ध्वज से उसे बदल दिया जाता है।
किसी भी संस्था के ध्वज की तरह, निशान साहब खालसा का प्रतीक है और इसे हर गुरुद्वारा परिसरों में फहराया जाता है।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.