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बरखान
वर्धमान के आकार का टीला / From Wikipedia, the free encyclopedia
बरखान (Barchan) अथवा बरखान स्तूप एक प्रकार के बालुका स्तूप हैं जिनकी आकृति अर्द्ध-चन्द्राकार होती है और अक्सर समूहों में पाए जाते हैं। ये ऐसे रेगिस्तानों में बनते हैं जहाँ पवन वर्ष भर एक ही दिशा से बहती है, इनका पवनानुवर्ती ढाल मंद और उत्तल होता है जबकि दूसरी तरफ़ का ढाल तेज होता है और अर्द्ध-चन्द्र के दोनों नुकीले हिस्से, जिन्हें स्तूप शृंग कहा जाता, पवन के बहाव की दिशा में आगे निकले हुए होते हैं।
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बरखान शब्द के रूप में इनका नामकरण रूसी प्रकृति विज्ञानी अलेक्जेंडर वॉन मिडेंडार्फ ने किया था[1] जिन्होंने तुर्किस्तान की मरुभूमि में ऐसे स्तूपों का अध्ययन किया था। पवन की दिशा में परिवर्तन होने से जब बरखान की एक भुजा कट जाए तथा एक भुजा शेष रह जाए तो उसे सीफ कहते है। इसकी आकृति नव चंद्रकार होती है।[उद्धरण चाहिए]
बरखान की ऊँचाई 9–30 मी॰ (30–98 फीट) तक एवं चौड़ाई, यदि इनके आधार के पास पवन की दिशा के लंबवत नापी जाय 370 मी॰ (1,210 फीट) तक हो सकती है सर्वाधिक बरखान जोधपुर में पाए जाते हैं