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बांदा जिले का एक शहर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
बांदा (Banda) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुंदेलखण्ड क्षेत्र का एक प्रमुख नगर है। यह बांदा ज़िले का मुख्यालय भी है और केन नदी के किनारे बसा हुआ है।[2][3]
बांदा Banda | |
---|---|
भूरागढ़ दुर्ग | |
निर्देशांक: 25.48°N 80.33°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | बांदा ज़िला |
शासन | |
• सभा | बांदा नगरपालिका परिषद[1] |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 443.1 किमी2 (171.1 वर्गमील) |
ऊँचाई | 123 मी (404 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,54,428 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, बुंदेली |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 210001 |
दूरभाष कोड | 91-5192 |
वाहन पंजीकरण | UP-90 |
इस शहर का नाम महर्षि वामदेव के नाम पर है। बाँदा महर्षि वामदेव की तपोभूमि है। सड़क मार्ग द्वारा ये अच्छे से अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। बाँदा शहर में बाँदा जंक्शन रेलवे स्टेशन भी है। बांदा रेल लाइन और सड़क जंक्शन पर स्थित एक कृषि बाज़ार है। इस शहर का व्यापार घटता जा रहा है और दक्षिण की ओर जाती सड़क का अब रख-रखाव नहीं किया जाता है। बाँदा एक एतिहासिक शहर है। ये शहर बाँदा जिले का मुख्यालय भी है। बाँदा के चारो तरफ अनेक पर्यटन स्थल हैं। चित्रकूट यहां से करीब 60 किमी, कालिंजर करीब 60 किमी हैबाँदा के दक्षिन में केन नदि बहती है जो कैमूर की पहाड़ी मध्य प्रदेश से निकलती है
बांदा केन नदी-तल से प्राप्त गोमेद रत्नों के लिए प्रसिद्ध है, जिनका निर्यात किया जाता है। यहाँ विभिन्न मस्जिदें ओर हिन्दू मंदिर हैं। यहां एक कृषि विश्वविद्यालय है।यहाँ पर वर्तमान में मेडिकल कॉलेज भी है। यहाँ की केन नदी भारत की एक प्रमुख नदी है। केन नदी में शजर पत्थर पाया जाता है जिसमे प्राकृतिक रूप से प्राकृतिक दृश्य बने रहते हैं।
यहां के प्रमुख मंदिरों में माँ महेश्वरी देवी का सात खंड का मंदिर,संकट मोचन मंदिर, माँ काली देवी मंदिर, वामदेवेश्वर मन्दिर; विंध्यवासनी मन्दिर आदि प्रमुख हैं। विश्व विख्यात मदरसा जामिया अरबिया हथौरा यहाँ के हथौरा गाँव में है जो बांदा शहर से 16 किमी० दूरी पर है तथा बांदा शहर की नवाबी जामा मस्जिद भी खासा प्रसिध्द है जो कि वर्तमान में पुरातत्व विभाग के अधिकार में है।
बांदा बुन्देलखण्ड का प्रमुख शहर है। कालिंजर बाँदा जिले का ही एक कस्बा है। जो बाँदा शहर से करीब 60 किमी दूर है। देश विदेश से लोग कालिंजर दुर्ग घूमने जाते है। भगवान राम भी बाँदा आये थे। यह एक बहुत ही अच्छा शहर है
शहर के बाहर 18वीं शताब्दी के क़िले कालिंजर दुर्ग के अवशेष हैं। भूरागढ़ दुर्ग जिसमे क्रांति के दौरान बाँदा की विद्रोही सेना के व अन्य 3000 क्रांतिकारी शहीद हुए थे,के भी अवशेष हैं। हर वर्ष यहां मेला लगता है। दुर्ग में कई क्रांतिकारियों के नाम लिखें हैं। जिसे पढ़कर सीना गर्व से भर जाता है। वर्तमान में सरकार द्वारा इस दुर्ग के संरक्षण की आवश्यकता है।
मुसलमानों, मराठों, फ्रांसीसियों और अंग्रेज़ों के बीच चले संघर्षों के दौरान इस शहर व क़िले का शासन बदलता रहा। नवाब शमशेर बहादुर एवं उनके पुत्र अली बहादुर प्रथम ने बांदा रियासत को स्थापित किया था।
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