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भरत (महाभारत)
चक्रवर्ती सम्राट / From Wikipedia, the free encyclopedia
ययाति वंश प्राचीन भारत के एक क्षत्रिय चन्द्रवंशी सम्राट थे जो कि राजा दुष्यन्त तथा रानी शकुंतला के पुव॔ज थे। हरिवंश पव॔ , ४८,, पेज नमबर मे इस का वण॔न मिलता है तुव॔सु के वहनि ,उनके गौभानु ,उनके त्रैसानु ,के करध॔म,के मरुत़ नामक पुत्र हुए |मरुत के पुत्र नही हुआ उन्होने अपनी कन्या सममता यज्ञ के अवसर पर महात्तमा संवत॔ को दे दी | सममता के दुष्यन्त पुत्र हुआ तुव॔सु का वंश पौरव वंश मे मिल गया| इसी वंश मे आगे चलकर ,राजा पाडय ,राजा केलर , राजा राम कोल(कोली) ,राजा चौल ,नामक चार भाई हुए ,जिन्होने अपने अपने नाम से विभिन्न देश बसाए इसी वंश मे गांधार हुए जिनके नाम से गांधार देश विख्यात हुआ|
भरत | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
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महाभारत,आदिपव॔ 77 पृ 177
भहाभारत आदिपव॔ पृ 168-169
हरिवशं पुराण ,33पृ 84- 85
नाम पर ही भारत का नाम है|[1]अतः एक चन्द्रवंशी क्षत्रिय राजा थे।[2] भरत के बल के बारे में ऐसा माना जाता है कि वह बाल्यकाल में वन में खेल ही खेल में अनेक जंगली जानवरों को पकड़कर या तो उन्हें पेड़ों से बाँध देते थे या फिर उनकी सवारी करने लगते थे। इसी कारण ऋषि कण्व के आश्रम के निवासियों ने उनका नाम सर्वदमन रख दिया।[2]