भारतीय नौसेना अकादमी
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भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला (आईएनए) (Indian Naval Academy Ezhimala) (INA) (एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी), भारतीय नौसेना का एक अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र है जिसे एनएवीएसी (NAVAC) भी कहा जाता है। यह दक्षिण भारत के केरल राज्य के कन्नूर (कैन्नानोर) जिले में स्थित है। डिली की भव्य पहाड़ियों, कव्वायी के निर्मल अप्रवाही जल और विशालकाय अरब सागर के बीच स्थित एनएवीएसी (NAVAC) (नेव ल एके डमी का संक्षिप्त रूप), अपने मनोरम और शांत माहौल के कारण प्रशिक्षण हेतु एक आदर्श स्थान है। यहां भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल में शामिल सभी अधिकारियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों के तहत बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाता है। आईएनए (INA) के प्रशासनिक और अन्य कार्यों के लिए मुख्यतः आईएनएस (INS) जैमोरिन जहाज का प्रयोग किया जाता है।
Indian Naval Academy (INA) | |
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आदर्श वाक्य: | "Vidyayaa Amrutam Ashnute" "विद्ययाऽमृतमश्नुते" (Sanskrit) (Translation: Be Immortal Through Knowledge) |
स्थापित | January 8, 2009 |
प्रकार: | Military academies in India |
अवस्थिति: | Ezhimala, Kerala, India |
परिसर: | Naval base, 2500 acres |
सम्बन्धन: | Jawaharlal Nehru University |
यह अकादमी एक अंतरीप के लगभग 2,500 एकड़ (10 कि॰मी2) हिस्से पर फैली है, जो कि प्राचीन मूशिका राजाओं की राजधानी थी। प्राचीन युग में यह केरल का एक समृद्धशाली बंदरगाह और 11वीं सदी में चोला-चेरा युद्ध के दौरान यह एक प्रमुख युद्ध क्षेत्र रहा था। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने एझिमाला का दौरा किया था।
माना जाता है कि एझिमाला नाम सात पहाड़ियों से प्रेरित है (मलयालम भाषा में एझू का मतलब सात और माला का मतलब पहाड़ी होता है) जो इस इलाके के क्षितिज पर हावी हैं। यह इलाका एलीमलाई के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब 'रैट हिल' या चूहा पहाड़ी है (मलयालम में 'एली' का मतलब चूहा होता है). एक और मान्यता यह है कि यह नाम 'एझिल मलाई' से प्राप्त किया गया है जिसका मतलब सौंदर्य की धरती है (एझिल का मतलब सौंदर्य है). लोककथाओं के मुताबिक सात पहाड़ियां 'ऋषबद्री' पर्वत का हिस्सा हैं जो उस वक्त धरती पर गिर गया था जब रामायण की पौराणिक लड़ाई के दौरान लक्ष्मण गंभीर रूप से घायल होकर मूर्छित पड़े थे और उन्हें बचाने के लिए भगवान हनुमान मृत संजीवनी और अन्य जड़ी-बूटियों के साथ इस पहाड़ी को लेकर लंका जा रहे थे। ये बात इससे भी सिद्ध होती है कि ये इलाका कई तरह की औषधीय जड़ी-बूटियों से भरा पड़ा है।
नौसेना अकादमी के आधार डीपो जहाज आईएनएस जैमोरिन का नामकरण कोझिकोड के जैमोरिन लोगों के नाम पर किया गया है, जिनके पास प्रसिद्ध कुंजली मराक्कर के नेतृत्व में युद्धपोतों का एक शक्तिशाली बेड़ा था। नौसेना ने कुंजली मराक्कर की याद में वाटकरा के निकट स्थित इरिंगल में उनके पैतृक घर में एक स्मारक का निर्माण भी करवाया है।
1950 के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी या नैशनल डीफेंस एकेडेमी (एनडीए) की स्थापना से पहले 'नियमित' प्रविष्टि वाले कैडेटों को यूनाइटेड किंगडम में रॉयल नेवी के साथ चार साल के प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता था और वे उप-लेफ्टिनेंट के तौर पर भारत वापस लौटते थे। 1960 के दशक की शुरुआत में ये महसूस किया गया कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से बाहर निकलने वाले कैडेट बढ़ती हुई भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे और इसी वजह से कोचीन में एक अकादमी स्थापित करने का फैसला किया गया। तदनुसार जनवरी, 1969 में कोचीन में एक नौसेना अकादमी की शुरुआत की गयी जिसे अंततः 1986 में आईएनएस मांडोवी (गोवा) में स्थानांतरित कर दिया गया। लगातार बढ़ रहे प्रशिक्षण के दबाव का सामना करने के लिए एक नई स्थायी नौसेना अकादमी की मंजूरी प्राप्त करने का फैसला किया गया था। इसी तरह, तटरक्षकों को भी नौसेना के साथ प्रशिक्षित किया जाता था।
नई नौसेना अकादमी की वैचारिक आवश्यकताएं 100 एकड़ (0.40 कि॰मी2) क्षेत्रफल वाली एक जगह 'सबसे महत्त्वपूर्ण' आवश्यकता थी, जो सीमैनशिप और वाटरमैन शिप प्रशिक्षण के लिए समुद्र या झील के आसपास होने के साथ-साथ रेलवे स्टेशन के भी निकट हो लेकिन फिर भी शहर से दूर स्थित हो। साथ ही, एक 'वांछित' आवश्यकता यह भी थी कि स्थान नौसेना बंदरगाह के निकट हो और वहां का जलवायु भी प्राणपोषक तथा सम हो।
एझिमाला का चयन नई नौसेना अकादमी के लिए जिन स्थानों पर विचार किया गया उनमें वेलिंग्टन के पास नीलगिरी पहाड़ियों में अरुवांकाडू और पुणे-कोल्हापुर रोड पर स्थित पायकारा बांध झील, लॉयड्स बांध (भाटगढ़), बैंगलोर के पास हैसरगेट, सौराष्ट्र समुद्रतट पर स्थित पोरबंदर, मद्रास के पास चिंगलपुट और केरल समुद्र तट पर एझिमाला शामिल थे। 1979 में सरकार ने एक स्थायी नौसेना अकादमी की जरूरत को स्वीकार कर लिया। केरल सरकार ने नौसेना को उत्तरी केरल के कन्नूर (कैन्नानोर) के उत्तर में एझिमाला में 960 एकड़ जमीन देने की पेशकश की। वहां सभी जरूरी मूलभूत सुविधाएं, जैसे पेयजल, निर्माण के लिए पानी, बिजली, सड़क और पुल, कव्वायी का अप्रवाही पानी (बुनियादी नाविक प्रशिक्षण के लिए), कटाव रोकने के लिए एक समुद्री-दीवार का निर्माण, पैय्यानूर के पास नजदीकी रेलवे स्टेशन का विस्तार इत्यादि केरल सरकार द्वारा नौसेना को मुफ्त में मुहैया कराए जाएंगे. 1982 में सरकार ने एझिमाला की जगह को स्वीकार कर लिया और केरल सरकार को जमीन अधिगृहित करने और विस्थापितों के पुनर्वास के लिए मध्यम अवधि का आसान ऋण मुहैया कराया.
पौराणिक संबंध अरब सागर से सटे डिली पर्वत के साथ एझिमाला की स्थलाकृति ही कुछ ऐसी है कि प्राचीन काल से स्थानीय लोग इसके बारे में विभिन्न किवंदितियां गढ़ने के लिए प्रेरित होते रहे हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय रामायण की परंपरा से संबंधित है। राम और रावण के बीच लड़ाई के एक चरण में, भाई लक्ष्मण समेत राम की सेना के कई लोग मारे जा चुके थे। परेशान राम ने वानर सेना के सबसे वरिष्ठ जाम्बवन से परामर्श किया। तब शरीर से तीर निकालने, घावों को ठीक करने, शरीर के कटे हुए हिस्से की सिलाई करने और आखिर में मृतकों को जीवित करने के लिए हिमालय से चार औषधीय जड़ी-बूटी, शल्य करणी, विशाली करणी, संधान करणी और मृत संजीवनी मंगाने का तय किया गया। इन जड़ी-बूटियों को लाने का जिम्मा हनुमान को दिया गया और वे हिमालय के लिए निकल पड़े. हनुमान हिमालय तो पहुंच गए लेकिन वे उन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को पहचान नहीं सके। इसलिए उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया – उन्होंने पूरा का पूरा ऋषबद्री पर्वत ही उखाड़ लिया और उसे लेकर वापस उड़ चले. दक्षिण की ओर लौटते समय इस पर्वत का एक टुकड़ा समुद्र के पास गिर गया और वही एजिमाला है। स्थानीय लोग मानते हैं कि एझिमाला में आज भी वे दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां मौजूद हैं।
अकादमी का चालू होना इस अकादमी का शिलान्याश 17 जनवरी 1987 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था। अकादमी के आधार डीपो आईएनएस (INS) जैमोरिन को केरल के मुख्यमंत्री ओमन चैंडी द्वारा 6 अप्रैल 2005 को शुरू किया गया था, इस तरह एझिमाला नौसेना अकादमी परियोजना का प्रथम चरण पूरा हुआ। शुरू में इस बेस ने अकादमी के निर्माण और इसके प्रशिक्षण और प्रशासन के सभी पहलुओं के कार्यों में मदद किया। इसके शिलान्यास के करीब 22 साल बाद एझिमाला में भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) उद्घाटन के लिए तैयार थी। 8 जनवरी 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस नौसेना अकादमी का उद्घाटन किया था। रक्षा मंत्री ए के एंटनी भी इस मौके पर मौजूद थे, उन्होंने 17 जनवरी 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शिलान्यास करते हुए भी देखा था।
शुरुआत में इस परियोजना की लागत 166 करोड़ आंकी गयी थी। 22 साल बाद जब यह परियोजना पूरी हुई तो इसकी लागत 721 करोड़ रुपये हो गयी।
भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए), एझिमाला कन्नूर (कैन्नानोर) से करीब 35 किलोमीटर उत्तर और भारत उपमहाद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट के मैंगलोर के 135 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का जो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है उसका नाम पैय्यानूर है जो दस किलोमीटर दूर स्थित है। पैय्यानूर मैंगलोर और कन्नूर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 17 पर स्थित है। यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा मैंगलोर में स्थित है जो भारतीय नौसेना अकादमी से 145 किलोमीटर दूर स्थित है। कोझिकोड में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो अकादमी से 150 किलोमीटर दूर है।
भारतीय नौसेना अकादमी रेल और सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। यहां का जो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पैय्यानूर है वो नौसेना के बेस से 12 किलोमीटर दूर स्थित है। पैय्यानूर मैंगलोर और कन्नूर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 17 पर स्थित है। कोंकण रेलवे के माध्यम से ब्रॉडगेज रेलवे लाइन पैय्यानूर को मुंबई और पश्चिमी, मध्य और उत्तरी भारत के प्रमुख शहरों से जोड़ती है। ब्रॉड गेज रेल नेटवर्क पैय्यानूर को चेन्नई और पूर्वी भारत (चेन्नई के माध्यम से) और दक्षिण भारत (पालाक्कड़ के माध्यम से) के प्रमुख शहरों से भी जोड़ता है। निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर में स्थित है जो आईएनएस जैमोरिन से करीब 150 किलोमीटर दूर है। आईएनएस जैमोरिन से पैय्यानूर और कन्नूर के लिए नियमित बस सेवा भी है। आईएनए से निकटतम रेलवे स्टेशन पैय्यानूर है। पैय्यानूर स्टेशन निम्न प्रकार से पहुंचा जा सकता है। :-
(क) रेल – राजधानी एक्सप्रेस को छोड़कर कोंकण रेलवे रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनें (दिल्ली-तिरुवनंतपुरम के बीच चलने वाली ट्रेनें), संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (चंडीगढ़ और तिरुवनंतपुरम के बीच चलने वाली), जोधपुर एक्सप्रेस (जोधपुर-तिरुवनंतपुरम के बीच चलने वाली) और जयपुर मारू सागर एक्सप्रेस (जयपुर-एर्नाकुलम के बीच चलने वाली) पैय्यानूर में रुकती है। कुछ मामलों में उपरोक्त ट्रेनें पैय्यानूर को छोड़कर पास के स्टेशन कन्नूर में रुकती है।
(ख) सड़क – राष्ट्रीय राजमार्ग 17 पैय्यानूर को कन्नूर और मैंगलोर से जोड़ता है। पैय्यानूर से नियमित रूप से कन्नूर और मैंगलोर को जोड़ने वाली राज्य सरकार और निजी बस सेवा संचालित होती हैं। बस से पहुंचने पर पैय्यानूर बस अड्डे पर उतर जाइए (पैय्यानूर शहर के अंदर स्थित है, जो रेलवे स्टेशन से चार किलोमीरट दूर है).
(ग) हवाई मार्ग – पैय्यानूर में हवाई अड्डा नहीं है। यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा मैंगलोर में स्थित है जो भारतीय नौसेना अकादमी से 150 किलोमीटर दूर स्थित है। इंडियन एयरलाइंस और जेट एयरवेज की मैंगलोर से आने और जाने की सेवाएं संचालित करते हैं। अन्य हवाई अड्डा कोझिकोड (कालीकट) में स्थित है जो पैय्यानूर से 145 किलोमीटर दूर है। मैंगलोर और कोझिकोड दोनों ही पैय्यानूर से रेल और सड़क मार्ग बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हालांकि मैट्टनूर में एक नया हवाई अड्डा प्रस्तावित है (कन्नूर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर है).
अकादमी क्षेत्र (2500 एकड़ से अधिक) एक विशाल क्षेत्र है जो पश्चिम में अरब सागर के सामने पड़ने वाली तटीय पट्टी, जिसकी बिचली पट्टी लहरदार पहाड़ियों से निर्मित है और पूर्व में पश्चिमी घाट के एक हिस्से का निर्माण करने वाले उच्च-क्षेत्रों द्वारा विभाज्य है।
आईएनए तीन क्षेत्रों में बंटा हुआ है, प्रशिक्षण क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र और आवास क्षेत्र. प्रशिक्षण क्षेत्र में अकादमी मुख्य भवन परिसर, शारीरिक प्रशिक्षण और अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधि (ईसीए) परिसर, बाह्य प्रशिक्षण और नाविक परिसर, फायरिंग रेंज, कैडेटों का भोजन कक्ष और कैडटों का आवास शामिल है। प्रशासनिक क्षेत्र में प्रशासनिक परिसर, अस्पताल, संभार-तंत्र परिसर, परिवहन परिसर और अग्निशमन केंद्र शामिल हैं।
अकादमी मुख्य भवन परिसर (एएमबीसी) इस अकादमी का केंद्र है, जिसमें मुख्यालय शाखा, सेवा और तकनीकी प्रशिक्षण शाखा, प्रयोगशालाएं, कार्यशालाएं, एक पुस्तकालय और 1736 कुर्सियों वाला एक सभागार शामिल है। परिसर मुख्य चोटी पर स्थित है और अकादमी का सबसे ऊंचा स्थान है।
अकादमी में हर साल करीब 1100 प्रशिक्षुओं को तैयार किया जाता है। इनमें भारतीय तटरक्षक और मित्र देशों के अफसर-प्रशिक्षु शामिल हैं।
अकादमी में प्रशिक्षण और दूसरे प्रशासनिक कार्यों के संचालन के लिए वर्दीधारी और नागरिक कर्मचारियों, दोनों का प्रयोग किया जाता है। यहां 161 अफसर, 47 प्रोफेसर/व्याख्याता, 502 नाविक और 557 नागरिक हैं। कर्मचारियों के परिवारों के समेत परिसर की आबादी 4000 से ज्यादा होगी।
10 + 2 (तकनीकी) कैडेट प्रविष्टि और एनसीसी विशेष प्रविष्टि (स्नातक) को छोड़कर सभी स्थायी आयोग प्रविष्टियों का चयन यूपीएससी द्वारा संचालित एक लिखित परीक्षा के माध्यम से किया जाता है, जिसके बाद सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) द्वारा साक्षात्कार किया जाता है। संक्षिप्त सेवा आयोग (एसएससी) की प्रविष्टियों के लिए लिखित परीक्षा नहीं होती है। चयन सिर्फ योग्यता के आधार पर ही होता है। योग्यता और खाली जगह होने पर एसएससी अफसर स्थायी आयोग की कोशिश कर सकते हैं। भारतीय तटरक्षक के लिए चयन पीएसबी और एफएसबी चयन स्तरों के माध्यम से किया जाता है।
सेवा चयन बोर्ड/एसएसबी एसएसबी में पांच दिनों का चयन कार्यक्रम होता है, उम्मीदवारों को एक दिन पहले दोपहर बाद तक सूचित करना होता है। दोपहर/शाम को उन्हें अगले पांच दिनों के कार्यक्रम, आचार संहिता की विस्तृत जानकारी दी जाती है और उन्हें उम्र/शैक्षणिक योग्यता के प्रमाणपत्रों के सत्यापन समेत जरूरी दस्तावेजी काम पूरे करने होते हैं। परीक्षण की विस्तृत जानकारी निम्न प्रकार से है : -
दिन – 1 (चरण-I)
पहले चरण की चयन प्रक्रिया में निम्नलिखित शामिल हैं : - (I) बुद्धि परीक्षा (II) चित्र बोध और विवरण जांच (पीडीपीटी): तस्वीर को तीस सेकंड के लिए दिखाया जाता है। उम्मीदवार को एक मिनट में प्रत्येक चरित्र के बारे में मोटे तौर पर सात बुनियादी मानकों को नोट करना पड़ता है, जैसे चरित्रों की संख्या, उम्र, लिंग, स्वभाव, अतीत, वर्तमान और भविष्य से संबंधित कार्य. (III) चित्र का विवरण – 30 मिनट. इस चरण में बैच को अलग-अलग समूहों में बांटा जाता है। प्रत्येक समूह में करीब 15 उम्मीदवार होते हैं। प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी लिखित कहानी शब्दश: सुनानी पड़ती है। इसके बाद दूसरे हिस्से में सभी उम्मीदवारों को आपस में एक-दूसरे के साथ चर्चा करनी पड़ती है और उन्हें कहानी के चरित्र तथा सार पर आम सहमति हासिल करनी पड़ती है। एक बार सभी उम्मीदरवार जब इस चरण को पूरा कर लेते हैं, तब पहले चरण का नतीजा जारी किया जाता है। कामयाब उम्मीदवारों को चरण – II की जांच के लिए रोक लिया जाता है और बाकी को सामान्य कमियों की संक्षिप्त जानकारी देकर वहां से चले जाने को कहा जाता है।
दिन -2 (चरण-II).
मनोवैज्ञानिक जांच में निम्नलिखित चीजें शामिल हैं :- (i) विषयक आत्मबोध जांच (Thematic Apperception Test,TAT). एक रिक्त चित्र समेत 12 चित्रों को 30 सेकेंड के लिए दिखाया जाता है। किन वजहों से वैसी परिस्थिति बनी, इसे लेकर उम्मीदवारों को कहानी लिखने को कहा जाता है। वहां क्या हो रहा है और उसका नतीजा क्या होगा ? चित्रों को 30 सेकेंड के लिए दिखाया जाता है और उन्हें चार मिनट में लिखने को कहा जाता है। रिक्त चित्र पर उन्हें अपनी पसंद के एक चित्र की कल्पना करने और उसी के आसपास एक कहानी लिखने को कहा जाता है। (ii) शब्द संबंध जांच (डब्ल्यूएटी).इस जांच में प्रत्येक उम्मीदवारों को 15 सेकेंड के लिए एक के बाद एक 60 शब्दों की एक श्रृंखला दिखाई जाती है। उम्मीदवारों को उसके दिमाग में आने वाली बात या विचार को लिखना पड़ता है। (iii) स्थिति प्रतिक्रिया जांच (एसआरटी).इस टेस्ट के तहत रोजमर्रा जिंदगी से जुड़ी हुई 60 तरह की गतिविधियां शामिल की जाती हैं। ये परिस्थितियां एक पुस्तिका में अंकित रहती हैं और उम्मीदवारों को वाक्यों को पूरा कर अपनी प्रतिक्रियाएं लिखने को कहा जाता है कि वे उन परिस्थितियों में पर कैसा महसूस करते हैं, सोचते हैं और करते हैं। (iv) स्वयं का विवरण -15 मिनट.उम्मीदवार को अपने माता-पिता/अभिभावक, दोस्तों, शिक्षकों/वरिष्ठों की अलग-अलग संदर्भ पर राय के बारे में पांच अलग-अलग अनुच्छेद लिखने को कहा जाता है।
दिन -3 (जीटीओ-दिन 1)
इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:- (i) समूह चर्चा। सामान्य हितों के विषयों (सामाजिक मुद्दों और वर्तमान घटनाओं) पर चर्चा की जाती है। यह एक अनौपचारिक चर्चा है, बहस नहीं। प्रत्येक विषय के लिए 20 मिनट का समय दिया जाता है। किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने की आवश्यकता नहीं होती है। (ii) समूह योजना अभ्यास (जीपीई). यह पांच चरणों में होता है जैसे, नमूने का विवरण, जीटीओ द्वारा कथा को पढ़ना, पांच मिनटों तक उम्मीदवारों द्वारा स्वयं पढ़ना, व्यक्तिगत लिखे समाधानों के लिए 10 मिनट और समूह चर्चा के लिए 20 मिनट शामिल है। समूह समाधान को बोलना और एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचना जरूरी होता है। (iii) प्रगतिशील समूह कार्य (पीजीटी). यह पहला बाहर का काम है। कठिनाइयों के उत्तरोत्तर बढ़ते चरणों की चार बाधाओं के एक सेट को 40 से 50 मिनटों में पूरा करना होता है। समूह को संरचनाएं, मदद की सामग्री और भार प्रदान की जाती है। (iv) समूह बाधा दौड़ (जीओआर). इस कार्य के तहत समूहों को सांप की तरह भार को ढोने वाली छह बाधाओं के एक सेट के साथ एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाता है। (v) अर्ध समूह कार्य (एचजीटी). इसमें प्रगतिशील समूह कार्य की तरह एक बाधा होती है जिसमें मदद की सामग्री और भार को ढोना पड़ता है। समूह को दो उप समूहों में बांटा जाता है और उन्हें इस तरह से एक ही बाधा पर काम में लगाया जाता है कि जब एक समूह काम कर रहा हो तो दूसरे समूह को उसे देखने की इजाजत नहीं होती है। प्रत्येक उप समूह को 15 मिनट का समय दिया जाता है। (vi) व्याख्यान. यह एक व्यक्तिगत कार्य है और उम्मीदवार को समूह के सामने किसी एक विषय पर कुछ कहने को कहा जाता है। उम्मीदवार को व्याख्यान कार्ड में दिए गए चार विषयों में से किसी एक विषय पर तीन मिनट के अंदर अपनी बात तैयार करनी पड़ती है।
दिन – 4(जीटीओ –दिन 2)
(i) व्यक्तिगत बाधाएं. 10 बाधाओं के एक सेट का व्यक्तिगत तौर पर मुकाबला करना पड़ता है। बाधाएं एक से दस नंबर की होती हैं जिनपर अलग-अलग अंक अंकित होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को तीन मिनट का समय दिया जाता है। (ii) कमांड कार्य. प्रगतिशील समूह कार्य की तरह एक बाधा वाले एक काम के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को कमांडर के तौर पर नामांकित किया जाता है। (iii) अंतिम समूह कार्य. प्रगतिशील समूह कार्य के समान एक बाधा वाला काम दिया जाता है। इस काम को पूरा करने के लिए 15-20 मिनट का समय दिया जाता है।
दिन 3 और 4 साक्षात्कार – साक्षात्कार अधिकारी (आईओ) द्वारा निजी साक्षात्कार लिया जाता है।
दिन -5
इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:- (i) बोर्ड के उपाध्यक्ष द्वारा समापन भाषण. (ii) चर्चा। (iii) परिणामों की घोषणा. (iv) रवानगी.
10+2 कार्यकारी प्रवेश/एनडीए प्रवेश 10+2 (कार्यकारी) के तहत चुने गए उम्मीदवारों को सीधे भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला में सैन्य छात्रों के रूप में चार साल के लिए बीटेक पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाता है। पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) से बीटेक की डिग्री प्रदान की जाती है। एनडीए प्रवेश के तहत चुने गए उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में सेना और वायु सेना के सैन्य छात्रों के साथ दो साल के संयुक्त प्रशिक्षण के बाद उन्हें आगे के प्रशिक्षण के लिए भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला में स्थानांतरित कर दिया जाता है। भारतीय नौसेना अकादमी में दो साल बिताने के बाद सभी सैन्य छात्रों को जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) से बीटेक डिग्री प्रदान करता है।
10+2 तकनीकी प्रवेश चुने गए उम्मीदवारों को भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला, केरल में सैन्य छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन तथा मेकेनिकल इंजीनियरिंग के चार साल के बीटेक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. पाठ्यक्रम के दौरान सैन्य छात्रों को इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल शाखा प्रदान की जाती है। पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) से बीटेक की डिग्री प्रदान की जाती है। पहली अवधि के बाद कुछ सैन्य छात्र को कोचीन के विज्ञान और तकनीकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) में नौसेना वास्तुकला में बीटेक के लिए नामांकित किया जाता है। उन्हें सीयूएसएटी के सामान्य प्रवेश परीक्षा (कॉमन एडमिशन टेस्ट) में बैठना पड़ता है। पहली अवधि के बाद उत्तीर्ण उम्मीदवार सीयूएसएटी में नौसेना वास्तुकला और जहाज निर्माण में चार साल के बीटेक पाठ्यक्रम से गुजरना पड़ता है। इसके बाद, सैन्य छात्रों को विशाखापतनम में छह महीने के लड़ाकू जहाज डिजाइन पाठ्यक्रम में और फिर आईआईटी दिल्ली में 18 महीने के नौसेना वास्तुकला में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (डीआईआईटी-एनसी) में लगाया जाता है। एनएवीएसी भी 750 सैन्य छात्रों और कमीशन अधिकारियों को नौसेना वास्तुकला में बीटेक पाठ्यक्रम करवाती है। भारतीय नौसेना द्वारा तैयार इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्विद्यालय (जेएनयू) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ मिलकर तैयार किए गए हैं।
संक्षिप्त सेवा कमिशन (एसएससी) एसएससी अधिकारियों का कार्यकाल दस वर्षों का होता है, जो उम्मीदवारों की इच्छा/प्रदर्शन और सेवा जरूरतों के मुताबिक चार साल तक बढ़ाया जा सकता है। शिक्षा, संभार-तंत्र, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, पनडुब्बी (तकनीकी), एयर ट्रैफिक कंट्रोल और कानूनी शाखाएं/कार्यकर्ताओं में उप लेफ्टिनेंट के शुरुआती प्रशिक्षण का कार्यकाल 20 हफ्तों का होता है। बाद में शाखा विषयक प्रशिक्षण नौसेना के दूसरे प्रतिष्ठानों में प्रदान किए जाते हैं। महिलाओं को नौसेना वास्तुकला, कानून, रसद, एटीसी, पर्यवेक्षक और शिक्षा शाखाओं में संक्षिप्त सेवा कमिशन प्रदान किया जाता है।
आईसीजी सहायक कमांडेंट पाठ्यक्रम (जीडी/टेक/पायलट-नेविगेटर/कानून/सीपीएल*) सहायक कमांडेंट (लेफ्टिनेंट पद के समान) स्थायी कमीशन अधिकारी हैं जिन्हें प्रशिक्षित तो नौसेना अकादमी में ही किया जाता है लेकिन वे भारतीय तटरक्षक में शामिल होते है। सीपीएल धारकों को संक्षिप्त सेवा कमिशन प्रदान किया जाता है जबकि दूसरे स्थायी होते हैं।
रिपोर्टिंग के समय प्रशिक्षुओं को आईएनए के स्क्वाड्रनों में एक में शामिल कर लिया जाता है। प्रत्येक स्क्वाड्रन चार मंडलों का हो सकता है और प्रत्येक मंडल में लगभग 40 प्रशिक्षु हो सकते हैं। स्क्वाड्रन का नेतृत्व स्क्वाड्रन कमांडर करता है, जो कमांडर/लेफ्टिनेंट कमांडर पद का होता है और जिसे लेफ्टिनेंट पद के मंडल अफसरों की मदद मिलती है। प्रत्येक मंडल विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षुओं से मिलकर बनता है और इसके नियंत्रण तथा निगरानी का कार्य स्क्वाड्रन/मंडल के प्रशिक्षुओं की मदद से मंडल के अफसरों द्वारा किया जाता है। इस तरह मंडल प्रक्रिया से प्रशिक्षुओं की सभी गतिविधियों पर नजदीक से निगरानी रखने के साथ-साथ उन्हें मार्गदर्शन और परामर्श भी दिया जा सकता है। प्रशिक्षुओं के रहने की व्यवस्था स्क्वाड्रन में की जाती है, जबकि कक्षा के दिशा-निर्देश और बाहरी प्रशिक्षण अलग से निर्दिष्ट प्रशिक्षण क्षेत्र में ही कराए जाते हैं। प्रशिक्षण 22 हफ्तों वाले आठ सेमेस्टर में पूरा होता है जिसमें दो सेमेस्टर के बीच चार हफ्तों की छुट्टी होती है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने 64-बिस्तरों वाले एक अस्पताल आईएनएचएस नवजीवनी का शिलान्यास किया था; यह अकादमी में प्रशिक्षण पाने वाले कैडेटों, वहां तैनात कर्मियों और पूर्व सैन्यकर्मियों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करता है।
साँचा:Naval academies
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