Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
मस्जिद ज़िरार का विध्वंस: मदीना में पाखंडियों द्वारा बनाई गई एक मस्जिद थी जिसे क़ुबा मस्जिद के करीब बनाया गया था। मुहम्मद ने क़ुरआन की आयत (क़ुरआन) अवतरण होने से ग़ज़वा ए तबूक की लड़ाई जो अक्टूबर 630 सीई में हुई के अभियान से लौटते समय इसे कुछ सहाबा को भेज कर नष्ट करवा दिया था। अधिकांश विद्वानों द्वारा वर्णित मुख्य खाते में, मस्जिद का निर्माण 12 पाखंडियों (मुनाफकीन) द्वारा किया गया था।
प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी के अनुसार यह वह मस्जिद है जिसको मुनाफिक़ों (कपटाचारियों) ने मुसलमानों में फूट डालने और इस्लाम के विरुद्ध षडयंत्र रचने के लिए बनाया था और चाहते थे कि एक बार नबी उसमें नमाज पढ़ लें। अल्लाह ने नबी को उनके इस षडयंत्र से अवगत करा दिया और इस अवसर पर ये आयतें उतरी- [1]
और कुछ ऐसे लोग भी हैं , जिन्होंने मस्जिद बनाई इसलिए कि नुक़सान पहुँचाएँ और कुफ़्र करें और इसलिए कि ईमानवालों के बीच फूट डाले और उस व्यक्ति के घात लगाने का ठिकाना बनाएँ, जो इससे पहले अल्लाह और उसके रसूल से लड़ चुका है। वे निश्चय ही क़समें खाएँगे कि "हमने तो बस अच्छा ही चाहा था।" किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है तुम कभी भी उसमें खड़े न होना। वह मस्जिद जिसकी आधारशिला पहले दिन ही से ईशपरायणता पर रखी गई है, वह इसकी ज़्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खड़े हो। उसमें ऐसे लोग पाए जाते हैं, जो अच्छी तरह स्वच्छ रहना पसन्द करते है, और अल्लाह भी पाक-साफ़ रहनेवालों को पसन्द करता है फिर क्या वह अच्छा है जिसने अपने भवन की आधारशिला अल्लाह के भय और उसकी ख़ुशी पर रखी है या वह, जिसने अपने भवन की आधारशिला किसी खाई के खोखले कगार पर रखी, जो गिरने को है। फिर वह उसे लेकर जहन्नम की आग में जा गिरा? अल्लाह तो अत्याचारी लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता (क़ुरआन 9:107-109) [2]
(सूरा-9, अत-तौबा, आयतें-107-109) इन आयतों के उतरने के पश्चात् नबी ने अपने कुछ साथियों को भेजा कि वे उस मस्जिद को ढ़ा दें।
मुनाफिक़ों (कपटाचारियों) ने इस्लाम की बेखकुनी और मुसलमानों में फूट के लिये मस्जिदे कुबा के मुकाबले में एक मस्जिद तामीर की थी जो दर हकीकत मुनाफिकीन की साज़िशों का एक जबरदस्त अड्डा था। अबू आमिर राहिब जो अन्सार में से ईसाई हो गया था जिस का नाम हुजूर ने अबू आमिर फ़ासिक रखा था • उस ने मुनाफ़िक़ीन से कहा कि तुम लोग खुफया तरीके पर जंग की 'तय्यारियां करते रहो। मैं कैसरे रूम के पास जा कर वहां से फ़ौजें लाता हूं ताकि इस मुल्क से इस्लाम का नामो निशान मिटा दूं। इसी मस्जिद में बैठ बैठ कर इस्लाम के खिलाफ मुनाफ़िक़ीन कमेटियां करते थे और इस्लाम व बानिये इस्लाम का ख़ातिमा कर देने की तदबीरें सोचा करते थे जब हुजूर जंगे तबूक के लिये रवाना होने लगे तो मक्कार मुनाफिकों का एक गुरौह आया और महूज़ मुसलमानों को धोका देने के लिये बारगाहे अवदस में येह दरख्वास्त पेश की, कि या रसूलल्लाह हम ने बीमारों और मा जूरों के लिये एक मस्जिद बनाई है। आप चल कर एक मरतबा इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ा दें ताकि हमारी येह मस्जिद खुदा की बारगाह में मक्बूल हो जाए 'आपने जवाब दिया कि इस वक्त तो मैं जिहाद के लिये घर से निकल चुका हूं लिहाजा इस वक्त तो मुझे इतना मौकअ नहीं है। मुनाफिकीन ने काफी इसरार किया मगर आप लोग ने उन की इस मस्जिद में क़दम नहीं रखा। जब आप जंगे तबूक से वापस तशरीफ लाए तो मुनाफ़िक़ीन की चाल बाज़ियों और इन की मक्कारियों, दगा बाज़ियों के बारे में "सूरए तौबह" की बहुत सी आयात नाज़िल हो गई और मुनाफिकीन के निफ़ाक़ और इन की इस्लाम दुश्मनी के तमाम रुमूज़ व असरार बे निकाब हो कर नज़रों के सामने आ गए। और उन की इस मस्जिद के बारे में खुसूसिय्यत के साथ यह आयतें सूरा-9, अत-तौबा, आयतें-107-109 नाज़िल हुई।
इस आयत के नाज़िल हो जाने के बाद मुहम्मद ने हज़रत मालिक बिन दखशम व हज़रत मअन बिन अदी को हुक्म दिया कि इस मस्जिद को मुन्हदिम कर के इस में आग लगा दें। [3]
इस्लामी शब्दावली में अरबी शब्द ग़ज़वा [4] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह (सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[5] [6]
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.