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कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
मैसूर, भारत के कर्नाटक राज्य का एक शहर है। इसे कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। [1] मैसूर वोडेयार राजाओं की राजधानी थी जिन्होंने मैसूर पर कई शताब्दियों तक शासन किया। वोडेयार राजा कला और संगीत के महान संरक्षक थे और उन्होंने मैसूर को एक सांस्कृतिक केंद्र बनाने में काफी योगदान दिया है। मैसूर अपने महलों, संग्रहालयों और कला दीर्घाओं के लिए प्रसिद्ध है और दशहरा के त्योहार के दौरान यहां दुनिया भर से पर्यटक आते है। मैसूर ने मैसूर मसाला डोसा और मैसूर पाक जैसे लोकप्रिय व्यंजनों को भी अपना नाम भी दिया है। मैसूर एक लोकप्रिय रेशम साड़ी की उत्पत्ति स्थल हैं जिसे मैसूर की रेशम साड़ी के नाम से जाना जाता है एवं यहाँ की चित्रकारी शैली मैसूर पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध हैं।
दशहरा कर्नाटक राज्य का नादाबाबा (राज्य त्योहार) है। यह नवरात्र (नवा-रत्तरी = 9 रातों) के रूप में भी मनाया जाता है जिसका अंतिम दिन विजयादाशमी के रूप में मनाया जाता हैं। दशहरा आम तौर पर सितंबर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, विजयादशमी बुराई पर अच्छाई के जीत के बारे में बताती है। दशहरा उत्सव सबसे पहले 1610 में वोडेयर राजा, राजा वोडेयर (1578-1617 CE) द्वारा शुरू किया गया था। [2]
मैसूर के वोडेयर राजा ने मैसूर में बहुत सारे महलों का निर्माण किया है और इसके चलते इस शहर को महलों के शहर के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर निम्नलिखित महल हैं:
यह मैसूर का मुख्य महल हैं एवं इसे मैसूर महल के नाम से जाना जाता हैं। १९१२ में निर्मित इस महल की ख़ूबसूरती देखते बनती हैं।
जगनमोहन पैलेस का निर्माण 1861 में कृष्णराज वोडेयर तृतीय द्वारा मुख्यतः हिंदू शैली में बनाया गया था इसे शाही परिवार के लिए एक वैकल्पिक महल के रूप में प्रयोग किया जा सके। जब पूराने मैसूर महल में आग लग गयी थी तब इस महल में ही शाही परिवार को रखा गया था।
यह महल 1905 में चमारराज वोडेयार द्वारा अपनी सबसे बड़ी बेटी जयलक्ष्मी देवी के लिए बनाया गया था। इस हवेली को बनाने में 700,000 रुपये की लागत आई थी। [3] इस हवेली का अधिग्रहण मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्नातकोत्तर परिसर के रूप में किया गया था।
इस महल के वास्तुकार श्री ई.डब्ल्यू.फ़्रीली थे। यह महल 1921 में कृष्णराज वोडेयर द्वारा भारत के वायसराय के प्रवास के लिए बनाया गया था।
यह चामुंडी हिल के ऊपर स्थित एक महल है। 1920 में परिकल्पित इस महल का निर्माण 1938-1939 में पूरा हुआ यह वोडेयार किंग्स के लिए एक ग्रीष्मकालीन महल के रूप में बनाया गया था। यह महल में वर्तमान में शाही परिवार के वर्तमान वंशज श्रीकांतदत्त नरसिम्हाहरा वोडेयार रहते हैं एवं उनके द्वारा इसे एक हेरिटेज होटल में बदलने की योजना है। [4]
मैसूर, भारतीय स्त्रियों द्वारा पहन जाने वाली मैसूर रेशम साड़ी का घर है। इस साड़ी की विशिष्ट विशेषता शुद्ध रेशम एवं 100% शुद्ध सोने की जड़ी (एक सुनहरा रंग का धागा जिसमें 65% चांदी और 0.65% सोना है) का काम होता है। [5] ये साड़ी मैसूर शहर में स्थित रेशम कारखाने में निर्मित होती हैं।
मैसूर की व्यंजन काफी हद तक उडुपी व्यंजन पर आधारित है। यहाँ का मुख्य खाद्य पदार्थ चावल हैं एवं खाना पकाने में विभिन्न मसालों का उपयोग किया जाता है। नाश्ते में ज्यादातर चावल से बने व्यंजन शामिल हैं जिनमें इडली और डोसा प्रचलित हैं। वडा एक और लोकप्रिय नाश्ता आइटम है जो केवल होटल में तैयार किया जाता है।
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