रकाब
पतला फ्रेम ओर अंगूठी है की एक सवार के पैर रखती है / From Wikipedia, the free encyclopedia
रकाब एक ऐसे खोल या गोले को कहा जाता है जिसमें घोड़े या ऐसे अन्य जानवर पर सवार व्यक्ति अपने पाऊँ टिकाता है। आम तौर पर दो रकाब होते हैं (एक दाएँ पाऊँ के लिए और एक बाएँ पाऊँ के लिए)। घोड़े पर चढ़ने के लिए भी इनका प्रयोग होता है। रकाब के प्रयोग से घुड़सवार अधिक जल्दी से जानवर पर सवार हो सकता है और घोड़े पर बैठे हुए उसका संतुलन भी ज़्यादा सही होता है। इस से यात्रा, शिकार और युद्ध में बहुत सहायता मिलती है। रकाब भिन्न प्रकारों और सामग्रियों की बनती है लेकिन अक्सर उसके ऊपर चमड़े या कपड़े के पट्टे होते हैं जिनसे उन्हें ऊपर-नीचे किया जा सके। इन पट्टों से अलग-अलग कदों के सवारों के लिए रकाब को ऊपर-नीचे किया जा सकता है और दोनों तरफ़ की रकाब को बराबर की ऊँचाई पर ठीक भी किया जा सकता है। माना जाता है कि रकाब का आविष्कार भारत में ५०० ईसापूर्व में हुआ था।[1][2]