रमण महर्षि
From Wikipedia, the free encyclopedia
रमण महर्षि (1879-1950) अद्यतन काल के महान ऋषि और संत थे। उन्होंने आत्म विचार पर बहुत बल दिया। उनका आधुनिक काल में भारत और विदेश में बहुत प्रभाव रहा है।[2][3]
सामान्य तथ्य श्री रमण महर्षि, जन्म ...
श्री रमण महर्षि | |
---|---|
रमण महर्षि | |
जन्म |
वेंकटरमन अय्यर 30 दिसम्बर 1879 तिरुचुली,[1], मद्रास, अब तमिलनाडु, भारत |
मृत्यु |
14 अप्रैल 1950(1950-04-14) (उम्र 70) श्री रमण आश्रम, तिरुवन्नमलै, भारत |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | अद्वैत वेदांत |
बंद करें
रमण महर्षि ने अद्वैतवाद पर जोर दिया। उन्होंने उपदेश दिया कि परमानंद की प्राप्ति 'अहम्' को मिटाने तथा अंत:साधना से होती है। रमण ने संस्कृत, मलयालम, एवं तेलुगु भाषाओं में लिखा। बाद में आश्रम ने उनकी रचनाओं का अनुवाद पाश्चात्य भाषाओं में किया।