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वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी, (अंग्रेज़ी: Westminster Abbey, सामान्य वर्तनी: वेस्टमिंस्टर ऐबी), जिसे पहले आधिकारिक रूप से अंग्रेज़ी में कॉलेजिएट चर्च ऑफ़ सेण्ट पीटर ऍट् वेस्ट्मिन्स्टर(वेस्टमिंस्टर में स्थित संत पीटर का कॉलेजिएट चर्च) का नाम दिया गया था, वेस्टमिंस्टर शहर, लंदन में स्थित एक विशाल, मुख्यत: गोथिक मठ व गिरिजाघर है। यह वेस्टमिंस्टर महल से पश्चिम में स्थित है। यह यूनाइटेड किंगडम के सबसे माननीय पूजा स्थलों में से एक है व ग्रेट ब्रिटेन के शाही परिवार के राज्याभिषेक का परम्परागत स्थल है। 1540 से 1556 तक इस मठ को कैथेड्रल का महत्व हासिल था। हालांकि 1560 से यह भवन मठ या कैथेड्रल नहीं रह गयी और सिर्फ़ शाही निजी संपत्ति ही कही जाती थी। "शाही निजी संपत्ति" – वो संपत्तियाँ थीं जो सीधे सम्राट के प्रति जवाबदेह थीं और सम्राट की जिम्मेदारी थीं। यह भवन वास्तविक मठ व गिरिजाघर है।
वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी वेस्टमिंस्टर ऐबी | |
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स्थानीय नाम Westminster Abbey | |
स्थान | वेस्टमिंस्टर, लंदन, इंग्लैंड |
स्थापना | 10वीं शताब्दी[1] |
पुनर्निर्माण | 1517 |
वास्तुशैली | गोथिक |
आधिकारिक नाम | पैलेस ऑफ़ वेस्टमिंस्टर, वेस्टमिंस्टर ऐबी और सेंट मार्ग्रेट्स गिरिजाघर |
प्रकार | सांस्कृतिक |
मानदंड | i, ii, iv |
मनोनीत | 1987 (11वाँ सत्र) |
संदर्भ सं. | 426 |
देश | यूनाइटेड किंगडम |
क्षेत्र | यूरोप व उत्तरी अमेरिका |
Listed Building – Grade I | |
आधिकारिक नाम | वेस्टमिंस्टर ऐबी (The Collegiate Church of St Peter) |
मनोनीत | 24 फ़रवरी 1958 |
संदर्भ सं. | 1291494 |
1080 में पहली बार सुलकार्ड द्वारा बताई गई परंपरा के अनुसार लंदन के थोर्नी द्वीप पर सातवीं शताब्दी में लंदन के पादरी मेलिटस के जमाने में एक गिरिजाघर का निर्माण हुआ था। वर्तमान गिरिजाघर का निर्माण सन् 1245 में हेनरी अष्टम के आदेश पर शुरु हुआ था।[2]
1066 में जब हैरॉल्ड गॉडविन्सन और विजेता विलियम ने यहाँ पहली बार मुकुट पहना तब से अंग्रेज और ब्रिटिश सम्राटों का राज्याभिषेक यहाँ होना शुरु हुआ। [3][4] 1100 के बाद से इस मठ में कम से कम १६ शाही शादियाँ हो चुकी हैं। दो उस समय के वर्तमान शासकों (हेनरी प्रथम और रिचर्ड २), के विवाह यहीं हुए। हालांकि 1919 से पहले लगभग 500 वर्षों तक यहां कोई शाही विवाह नहीं हुआ।[5]
मठ के बारे में सुनी हुई सर्वप्रथम बातों के अनुसार ऐसा माना जाता है थेम्स नदी के तट पर "आल्ड्रिक" नामक एक युवा मछुआरे ने इस स्थान के पास संत पीटर की छवि देखी। संभवत: ऐसा उद्धरण थेम्स के मछुआरों द्वारा इस मठ को आगामी वर्षों में उपहार स्वरूप सालमन मछलियों के दिये जाने की घटना को सिद्ध करने के लिये दिया जाता है। वर्तमान युग में भी स्थानीय मछुआरों की कम्पनी वर्शिपफ़ुल कंपनी ऑफ़ फिशमॉंगर्स सालाना यहाँ एक सालमन मछली चढावे में देती है। साबित तथ्यों के अनुसार 960 या शुरुवाती 970 ई० में संत डंस्टन ने राजा एडगर के साथ मिलकर यहाँ पर बेनेडिक्टाइन महंतो व सन्यासियों के एक संप्रदाय की स्थापना की थी।
1042 से 1052 के बीच राजा पापमोचक गुरु एडवर्ड ने अपने शाही कब्रिस्तान के लिए सेंट पीटर्स मठ का पुनर्निर्माण शुरु करवाया। रोमनिस्क़ शैली में बना यह इंग्लैंड का पहला गिरिजाघर था। भवन का निर्माण 1090 तक पूरा हुआ लेकिन इसे 5 जनवरी 1066 को एडवर्ड की मृत्यु से एक हफ्ते पहले 28 दिसम्बर 1065 को ही प्रतिष्ठित कर दिया गया था।[6] एक हफ्ते बाद उन्हें गिरिजाघर में दफना दिया गया और नौ वर्षों बाद उनकी पत्नी एडिथ को उनके बगल में दफना दिया गया।[7] उनके उत्तराधिकारी, हैरॉल्ड II, का संभवत: इसी मठ में राज्याभिषेक हुआ था। हालांकि पहला लिखित प्रमाण बाद में उसी वर्ष विजयी विलियम के राज्याभिषेक का है।[8]
वेस्टमिंस्टर महल के साथ एडवर्ड के मठ का एकमात्र वर्णन बेउक्स टैपेस्ट्री में मिलता है। मठ के शयनागार के कुछ निचले हिस्से जो कि दक्षिण के अनुप्रस्थ भाग के फैलाव में थे महान विद्यालय के नॉर्मन हिस्से में बचे हुए हैं। बढते हुए धर्मार्थ दान ने डन्स्टन के वास्तविक मठ में मठाधीष एक दर्ज़न साधुओं की संख्याँ को बढ़ाकर अस्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।[9]
वर्तमान गिरिजाघर का निर्माण 1245 में हेनरी अष्टम[2] के आदेश पर शुरु हुआ जिसने इस स्थान को अपनी कब्र के रूप में भी चुना था।[उद्धरण चाहिए]
महन्त और साधु, वेस्टमिंस्टर महल जो कि १२वीं शताब्दी से सरकारी भवन था के पास में, नॉर्मन विजय के शताब्दियों बाद सबसे ज्यादा शक्तिशाली हो गये। ये मठाधीष अक्सर शाही सेवा में नियुक्त होते थे जिनका बाद में हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने ले लिया। मध्य दसवीं शताब्दी के बाद आध्यात्मिक जिम्मेदारियों जो कि अब पुनर्निर्मित क्लुनिअक आंदोलन से मुक्त होने पर बेनेडिक्टों ने अपने समय के धर्मनिर्पेक्ष जीवन व विशेष रूप से उच्च श्रेणी के जीवन में एक महत्वपूर्ण व उल्लेखनीय स्थान हासिल किया।
मठ नॉर्मन राजाओं के राज्याभिषेक का स्थान बना रहा और हेनरी अष्टम के पहले तक किसी को भी यहाँ दफनाया नहीं गया। हेनरी ने इसे पापमोचक गुरु व राजा एडवर्ड को सम्मान देने के लिये उनकी समाधि के रूप में गोथिक वास्तुकला के अनुसार दुबारा बनवाया। पापमोचक गुरू की इस समाधि ने बाद में उन्हें संत की उपाधि दिलाने में महती भूमिका निभाई। कार्य 1245 से 1517 तक चलता रहा और मुख्यत: रिचर्ड २ के समय में हेनरी येवेले द्वारा खत्म किया गया। [10]
हेनरी सप्तम ने इसमें 1503 में एक लम्बवत्त शैली का प्रार्थनाघर बनवाया जो ईसा मसीह की माँ मदर मैरी को समर्पित था। इसे हेनरी सप्तम का प्रार्थनाघर या लेडी प्रार्थनाघर भी कहा जाता था। इसके लिये अधिकतर पत्थर फ्रांस में केन, पोर्टलैंड के आइल और फ्रांस के ही लोइर घाटी से आये। [उद्धरण चाहिए]
1535 में मठ की वार्षिक आय £2400–2800[उद्धरण चाहिए] (£NaN to £NaN as of 2024),[11] थी। मठों की विघटन समिति के सर्वेक्षण में इसे ग्लैस्टनबरी एबे के बाद दूसरा सर्वाधिक कमाई वाला मठ बताया गया था।
हेनरी अष्टम ने 1539 ई. में सीधा शाही नियंत्रण ले लिया था 1540 के एक घोषणापत्र में इस मठ को प्रधान गिरिजाघर का दर्जा दे दिया। मठ को प्रधान गिरिजाघर का दर्जा देकर हेनरी ने इसे अन्य अंग्रेजी मठों की तरह विघटित या नष्ट होने से बचा लिया था। उसके शासनकाल में तमाम मठों को तोड़ा जा रहा था।
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Westminster diocese was dissolved in 1550, but the abbey was recognised (in 1552, retroactively to 1550) as a second cathedral of the Diocese of London until 1556.[12][13][14] The already-old expression "robbing Peter to pay Paul" may have been given a new lease of life when money meant for the abbey, which is dedicated to Saint Peter, was diverted to the treasury of St Paul's Cathedral.
The abbey was restored to the Benedictines under the Catholic Mary I of England, but they were again ejected under Elizabeth I in 1559. In 1560, Elizabeth re-established Westminster as a "Royal Peculiar" – a church responsible directly to the Sovereign, rather than to a diocesan bishop – and made it the Collegiate Church of St Peter (that is, a church with an attached chapter of canons, headed by a dean.) The last of Mary's abbots was made the first dean.
It suffered damage during the turbulent 1640s, when it was attacked by Puritan iconoclasts, but was again protected by its close ties to the state during the Commonwealth period. Oliver Cromwell was given an elaborate funeral there in 1658, only to be disinterred in January 1661 and posthumously hanged from a gibbet at Tyburn.
मठ की दो पश्चिमी मीनारों का निर्माण 1722 और 1745 में निकोलस हॉक्समूर के द्वारा पोर्टलैंड के पत्थरों से गोथिक पुनरुत्थान कला के तौर पर हुआ था। दीवारों व फ़र्श के लिए पुर्बेक संगमर्मर का उपयोग किया गया। जबकि तमाम कब्रों पर लगे पत्थर अन्य प्रकार के संगमरमरों के थे। इसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी में जॉर्ज़ गिल्बर्ट की देखरेख में आगे का विक्टोरियाई पुनरुत्थान हुआ।
अब मीनारों के निर्माण से पहले की मठ की तस्वीरें दुर्लभ हैं। उन्नीसवीं सदी से पहले तक ऑक्स्फ़ोर्ड व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के बाद वेस्टमिंस्टर इंग्लैंड में तीसरा बड़ा विद्यालय था। यहीं पर किंग जेम्स बाइबिल, ओल्ड टेस्टामेंट के प्रथम तीन भाग व न्यु टेस्टामेंट का अंतिम आधे भाग का अनुवाद किया गया था। नई अंग्रेजी बाइबिल को भी यहीं पर बीसवीं शताब्दी में संग्रहित किया गया। वेस्टमिंस्टर को 15 नवम्बर 1940 को हुए ब्लिट्ज़ के दौरान मामूली नुकसान हुआ।
6 सितम्बर 1997 को एलिज़ाबेथ द्वितीय की बहु व वेल्स की राजकुमारी, डायना स्पेंसर का अंतिम संस्कार इसी मठ में किया गया था। 17 सितम्बर 2010 को पोप बेनेडिक्ट १६ इस मठ में आने वाले पहले पोप थे।[15]
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