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संपीडित वायु
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वायु में दबाव होता है। साधारणतया इसकी अनुभूति हमें नहीं होती। यदि हमारे शरीर के किसी अंग से वायु निकाल ली जाए, तब वायु के दबाव की अनुभूति हमें सरलता से हो जाती है। समुद्रतल पर वायु के दबाव की मात्रा ७६० मिमी पारे से दाब के तुल्य होती है। जैसे जैसे हम वायु में ऊपर उठते हैं, तैसे तैसे दबाव कम होता जाता है। यहाँ तक कि कुछ पहाड़ के शिखरों पर दबाव की मात्रा प्रति वर्ग इंच 9 पाउंड भार तक पाई गई है।
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वायवीय सर्किट.
वायु को दबाया भी जा सकता है। दबाने से उसका दबाव बढ़ जाता है। ऐसी दबी हुई वायु का संपीडित वायु (compressed air) कहते हैं। दबाने की इस क्रिया का 'संपीडित करना' कहते हैं। संपीडन से वायु का आयतन कम हो जाता है और दबाव बढ़ जाता है। इस प्रकार वायु का दबाव काफी ऊँचा बढ़ाया जा सकता है।