साबूदाना
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साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है। यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं।भारत मे यह कसावा/टेपियोका की जडों से व अन्य अफ्रीकी देशों मे सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।
भारत में साबूदाना केवल टेपियोका की जड से बनाया जाता है, जिसे "कसावा" व मलयालम मे "कप्पा" कहते हैं। भारत में साबूदाने का उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिये भी इसका उपयोग होता है। महाराष्ट्र में जब लोग उपवास करते हैं, तब उपवास के दौरान साबूदाने को बनाकर खाते हैं|
भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग १९४३-४४ में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को कूट कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे। फिर उसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे।
टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग ७०० इकाइयाँ सेलम में स्थित हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।
साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा ये एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है।