Loading AI tools
भारतीय राजनीतिज्ञ (जन्म-1939) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी (जन्म: 15 सितम्बर 1939 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत) हिन्दू राष्ट्रवादी नेता एवं सनातन धर्म के प्रचारक हैं। वे जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, कानून एवं न्याय मंत्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभायी।
सुब्रह्मण्यम् स्वामी | |
पदस्थ | |
कार्यभार ग्रहण 26 April 2016 | |
निर्वाचन क्षेत्र | नामांकित |
---|---|
कार्यकाल 1988 – 1994 | |
निर्वाचन क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
कार्यकाल 1974 – 1976 | |
निर्वाचन क्षेत्र | उत्तर प्रदेश |
मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार | |
कार्यकाल 10 नवम्बर 1990 – 21 June 1991 | |
प्रधान मंत्री | चन्द्रशेखर |
कार्यकाल 10 नवम्बर 1990 – 21 जून 1991 | |
प्रधान मंत्री | चन्द्रशेखर |
कार्यकाल 1998 – 1999 | |
निर्वाचन क्षेत्र | मदुरै लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र |
कार्यकाल 1977 – 1984 | |
उत्तराधिकारी | गुरुदास कामत |
निर्वाचन क्षेत्र | मुम्बई उत्तर पूर्व |
अध्यक्ष, जनता पार्टी | |
कार्यकाल 1990 – 2013 | |
जन्म | 15 सितम्बर 1939 मायलपुर, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (2012 से अब तक) |
अन्य राजनैतिक सहबद्धताएं |
जनता पार्टी (1990 से 2013 तक) |
जीवन संगी | रोक्सना स्वामी (वि॰ 1966) |
संतान | सुहासिनी हैदर, गीतांजलि स्वामी |
विद्या अर्जन | दिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, हार्वर्ड विश्वविद्यालय |
पेशा | अर्थशास्त्री प्रोफेसर लेखक राजनीतिक |
धर्म | हिन्दू |
वेबसाइट | vhsindia |
हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने साइमन कुजनैट्स और पॉल सैमुअल्सन के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर शोध कार्य किया और फिर पॉल सैमुअल्सन के साथ संयुक्त लेखक के रूप में इण्डैक्स नम्बर थ्यौरी का एकदम नवीन और पथ प्रदर्शक अध्ययन प्रस्तुत किया।
वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकल्टी मैम्बर भी रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। भारत में आपातकाल के दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य उन्होंने किये हैं।
स्वामी ने स्वेच्छा से राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया।[1][2] उन्होंने नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमन्त्री बनाने के लिये पूरे देश में प्रचार किया और भारी बहुमत से जीत हासिल की और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पुनः Z+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई। आजकल नेशनल हेराल्ड केस और अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा मे है।
सुब्रमण्यम स्वामी का जन्म १९३९ में म्य्लापोरे, चेन्नई, भारत में हुआ। उनके पिता का नाम सीताराम सुब्रमण्यम था और वो मदुरै, तमिलनाडु से थे। उनके पिता शुरू में भारतीय सांख्यिकी सेवा में अधिकारी थे और बाद में केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
डॉ॰ स्वामी ने हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में अपनी स्नातक ऑनर्स डिग्री अर्जित किया। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान में सांख्यिकी में अपनी मास्टर्स डिग्री के लिए अध्ययन किया। इसके बाद वो पूर्ण रॉकफेलर छात्रवृत्ति पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए चले गए। उन्हें १९६५ में अर्थशास्त्र में पी॰एच॰डी॰ प्राप्त हुई। उनके शोध सलाहकार नोबेल पुरस्कार विजेता साइमन कुज्नेट्स थे।
1964 में, स्वामी हार्वर्ड में अर्थशास्त्र के संकाय में शामिल हो गए और उसके बाद से वह अर्थशास्त्र विभाग में पढ़ाने लगे। जुलाई 1966 में वो एक सहायक प्रोफेसर बन गए और 1969 में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए।
वह जब एसोसिएट प्रोफेसर थे तो उन्हें अमर्त्य सेन द्वारा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में चीनी अध्ययन पर एक प्राध्यापक के पद के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब वो दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स पहुँचे तो उनकी नियुक्ति को उनके भारत के लिए परमाणु क्षमता के समर्थन और उसके बाजार के अनुकूल दृष्टिकोण के कारण रद्द कर दिया गया।
इसके बाद, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में जुड़े। वहा वो 1969 से 1991 तक गणितीय अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में रहे। 1970 के दशक में इंदिरा गाँधी के कारण उन्हें प्रोफेसर के पद से हटा दिया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायलय द्वारा कानूनी तौर पर 1990 के दशक में उन्हें पुनः बहाल किया गया। १९९१ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से उन्होंने कैबिनेट मंत्री बनने के लिए इस्तीफा दे दिया। 1977 से 1980 तक वो आई॰आई॰टी॰, दिल्ली के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में रहे और १९८० से १९८२ तक वो आई॰आई॰टीयो के परिषद में रहे।
2011 तक उन्होंने हार्वर्ड में गर्मियों के सत्र में अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम को पढ़ाया। दिसंबर 2011 में एक विवादास्पद लेख के कारण हार्वर्ड के कला और विज्ञान के संकाय के संकाय परिषद ने उनके पाठ्यक्रम को हटा दिया। जून २०१२ को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वामी को मैकलीन, वर्जीनिया में एक रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया। ओबामा ने २०१२ में अपने पुनर्निर्वाचन के बाद स्वामी को अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया।
डॉ॰ स्वामी का राजनीतिक जीवन अराजनैतिक आंदोलन के साथ शुरू हुआ। यह आन्दोलन एक गैरराजनीतिक आन्दोलन के रूप में शुरू हुआ जिसने आगे चलकर जनता पार्टी की नींव डाली। डॉ॰ स्वामी द्वारा रखे गए उदारवादी आर्थिक नीतियों की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी बहुत बड़ी विरोधी थी और बाद में इंदिरा गाँधी के कारण डॉ॰ स्वामी को आई॰आई॰टी॰ से बर्खास्त कर दिया गया और इस घटना के बाद से डॉ॰ स्वामी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। डॉ॰ स्वामी इंदिरा गांधी के विरोधी पार्टी जनसंघ के तरफ से राज्यसभा के सदस्य बने।
1974 और 1999 के बीच डॉ॰ स्वामी 5 बार संसद सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंन 1974 और 1999 के बीच उत्तर पूर्व मुंबई, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु का संसद में प्रतिनिधित्व किया। डॉ॰ स्वामी जयप्रकाश नारायण के साथ जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक है और 1990 के बाद से इसके अध्यक्ष हैं।
डॉ॰ स्वामी के नौकरशाहों के बीच काफी संपर्क थे। इसलिए उन्हें पहले ही आपातकाल के विषय में पता चल गया था। २५ जून १९७५ के दिन डॉ॰ स्वामी जयप्रकाश नारायण के साथ रात्रिभोज कर रहे थे तो उन्होंने जी॰पी॰ को कहा की कुछ बड़ा आने वाला है तो जी॰पी॰ ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया, उन्होंने कहा की इंदिरा गाँधी ऐसी मूर्खता नहीं करेंगी। दूसरे दिन सुबह 4.30 बजे उन्हें एक गुमनाम कॉल आया जिसमे उन्हें पुलिस ने अप्रत्यक्ष रूप से बताया की वो डॉ॰ स्वामी को पकड़ने वाले है। इसके बाद डॉ॰ स्वामी ६ महीनो के लिए भूमिगत हो गए।
उस समय जयप्रकाश नारायण ने डॉ॰ स्वामी को सूचना भेजी की तुम अमेरिका जाओ। क्योंकि उन्होंने डॉ॰ स्वामी को हार्वर्ड में देखा था। जी॰पी॰ ने कहा की अमेरिका में जाकर भारत के आपातकाल के बारे में लोगो को जागरूक करो। उसके बाद डॉ॰ स्वामी अमेरिका में जाकर हार्वर्ड में प्रोफेसर बन गए और हार्वर्ड के मंच का उपयोग करके आपातकाल अमेरिका के २३ राज्यों में भारतीयों को जागरूक करना शुरू किया।
डॉ॰ स्वामी ने आपातकाल के समय सोचा की लोगों में आपातकाल के खिलाफ हिम्मत जगाने के लिए वो एक दिन के लिए संसद में घुसेंगे और २ मिनट का भाषण देकर पुनः भूमिगत हो जायेगे। इस कार्य को करके वे यह सिद्ध करना चाहते थे कि पूरा देश इंदिरा गाँधी के नियंत्रण में नहीं है। उस समय डॉ॰ स्वामी के नाम से वारंट जारी हो चुका था। लेकिन फिर भी वो १० अगस्त १९७६ के दिन संसद में गए और यह देश विदेश के पत्रकारों के सामने यह कहकर निकल गए की भारत में प्रजातंत्र मर चुका है। उसके बाद डॉ॰ स्वामी नेपाल के मार्ग से वापस अमेरिका चले गए। इस घटना से लोगों को एक नया बल मिला और वे आपातकाल के समय एक नायक बन गए।
1990 और 1991 के दौरान स्वामी योजना आयोग के सदस्य और भारत और वाणिज्य मंत्री रहे। इस अवधि के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान भारत में आर्थिक सुधारों के लिए खाका बनाया। जो बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 लागू किया गया। डॉ॰ स्वामी ने अपनी पुस्तक में बताया है की मनमोहन सिंह ने इस बात को स्वीकार भी किया है।
1994 और 1996 के बीच, वह पी॰वी॰ नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल के दौरान "श्रम मानकों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आयोग के अध्यक्ष" (एक कैबिनेट मंत्री के पद के समकक्ष) के पद पर रहे।
२००४ के लोकसभा चुनावो में जनता पार्टी ने अपने कई उम्मीदवार उतारे। लेकिन एक भी उम्मीदवार की जीत नहीं हुई। बाद में स्वामी ने बताया की कई चुनाव बूथों में उनकी पार्टी को जीरो वोट मिले है। इस चुनाव के बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के मामले को लेकर मुकदमा दायर किया। स्वामी ने दावा किया की वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के कारण उनकी पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई।
२००९ के लोकसभा चुनावो में स्वामी ने जनता पार्टी की तरफ से एक भी उम्मीदवार चुनावो में नहीं उतारा। स्वामी ने कहा की २००९ के चुनावो में कांग्रेस बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करके चुनाव जीतने वाली है इसलिए चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं है। २०१३ के अंत में उन्हें वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के मामले में सर्वोच्च न्यायलय में जीत हासिल हुई। सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय दिया की वोटिंग मशीन में रसीद प्रिंट की जाएगी जिसे बैलेट बॉक्स में डाला जायेगा। अगर चुनाव में गड़बड़ी की आशंका होगी तो बैलेट बॉक्स में गिनती की जाएगी।
डॉ॰ स्वामी 2G घोटाले में कांग्रेस के खिलाफ अपने प्रदर्शन के लिए सुर्खियों में रहे। डॉ॰ स्वामी जनता पार्टी को NDA का हिस्सा बनाना चाहते थे। अन्ततः ११ मार्च २०१२ को जनता दल को NDA का घटक दल बना लिया गया। जनता दल के जुड़ने से NDA के घटक दलों की संख्या बढकर ६ हो गई।
२०१२ के गुजरात के विधान सभा चुनावो के लिए सुब्रमण्यम स्वामी ने अक्टूबर २०१२ से ३ महीने के लिए नरेंद्र मोदी के समर्थन में चुनावी प्रचार किया। उन्होंने कहा की वर्त्तमान बीजेपी पार्टी में नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा योग्य है। स्वामी ने कहा की गुजरात में सबसे न्यूनतम भ्रष्टाचार है। चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत हुई लेकिन स्वामी का दावा है की मोदी और भी ज्यादा सीटे जीतते अगर कांग्रेस सरकार वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं करती। स्वामी ने दावा किया की अगर गुजरात में EVM का बिलकुल प्रयोग नहीं होता तो BJP 35 सीटें और जीतती।
सुब्रह्मण्यन स्वामी ने २०१४ के चुनावो के लिए बहुत पहले से ही प्रचार अभियान आरंभ कर दिया। चुनाव को दृष्टि में रखते हुए उन्होंने पूरे देश में आम सभाएं कीं। इस दौरान उन्होंने २ बार नरेंद्र मोदी से जाकर भेंट की। चुनावी सभाओ में उन्होंने NDA के मुद्दों से जनता को अवगत कराया। जून २०१३ में वो अमेरिका के दौरे पर गए एवं अमेरिका के कई राज्यों में सभाएं कीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर-समस्या का हल सबसे महत्वपूर्ण तो है ही साथ में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा।
डॉ॰ स्वामी का कहना है की पाकिस्तान को भारत में कश्मीर के मामले में दखल नहीं देना चाहिए। वो पाकिस्तान द्वारा चलाये जा रहे आतंकवादी गतिविधियों को बंद करना चाहिए। सुदर्शन न्यूज़ के साथ मार्च २०१३ में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है की पाकिस्तान पर जल्द ही तालिबान कब्ज़ा करने वाला है और उसके बाद भारत और तालिबान शासित पाकिस्तान के बीच के युद्ध को रोक पाना बहुत ही मुश्किल होगा। डॉ॰ स्वामी का कहना है कि पाकिस्तान को पाकिस्तान शासित कश्मीर का भाग भारत को वापस करना चाहिए। अगर पाकिस्तान, पाकिस्तान शासित कश्मीर में चल रहे ५४ आतंकवादी कैंपो को बंद नहीं करता है तो भारत को इन कैम्पों को नष्ट करना चाहिए।
डॉ॰ स्वामी ने कहा की चीन और भारत पड़ोसी देश है और दोनों देश के सम्बन्ध कम से कम 3000 सालों से है। जब डॉ॰ सुब्रमण्यम स्वामी मोरारजी सरकार में थे तो उन्होंने चीन से कहा की कैलाश मानसरोवर का रास्ता खोले। उस समय भारत से कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता चीन ने बंद कर रखा था। 3 सालों तक चीन के साथ बात करने के बाद और अन्तत: चीन ने कहा की ठीक है रास्ता खोल देंगे अगर डॉ॰ स्वामी खुद कैलाश मानसरोवर जायें। उसके अप्रैल १९८१ में डॉ॰ स्वामी पहले कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले भारतीय बने और उसके बाद चीन ने कैलाश मानसरोवर भारत के लिए खोला।
अपने भाषणों और लेखों में डॉ॰ स्वामी ने इजराइल के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की है और एक शत्रुतापूर्ण अरब वातावरण में जीवित रहने की क्षमता के लिए अपने प्रतिकार क्षमता श्रेय दिया है। उन्होंने कहा कि इजराइल के साथ राजनयिक संबंधों की स्थापना में अग्रणी प्रयास किए थे। 1982 में, डॉ॰ स्वामी इज़राइल जाने वाले पहले भारतीय राजनितज्ञ बने और वो वहाँ यित्ज्हक राबिन और मेनाचेम बिगिन जैसे कई महत्वपूर्ण इजराइली नेताओं से मिले। इज़राइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में उनके प्रयासों का फल तब मिला जब भारत ने 1992 में इज़राइल में अपना दूतावास खोलने का निर्णय लिया।
डॉ॰ स्वामी का कहना है की बांग्लादेश के कुल जनसंख्या का करीब एक तिहाई भाग भारत में अवैध रूप से घुस चुका है। इसलिए बांग्लादेश या तो इन सभी अवैध रूप से घुसे हुए अपने नागरिकों को वापस बुलाये या अपने देश का एक तिहाई भाग भारत को दे दे। ऐसा होने से भारत का अपने पश्चिमी भागो पर ज्यादा अच्छा नियंत्रण हो सकेगा।
डॉ॰ स्वामी का कहना है कि श्रीलंका के जो सिनला है वो भी भारत के बिहार, उड़ीसा जैसे राज्यों से श्रीलंका गए थे। उनका कहना है की भारत के राष्ट्रहित में आज भारत को श्रीलंका से अच्छे सम्बन्ध बनाने चाहिए। भारत को श्रीलंका में जो २५% तमिल है उनके स्वायत्ता के लिए प्रयास करने चाहिए। उनका कहना है की जो द्रविड़ा आन्दोलन के लोग है वो भारत से अलग होना चाहते है इसलिए उनकी बातो पर भारत को ध्यान नहीं देना चाहिए।
सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने रोक्सना नाम की एक पारसी महिला से जून 1966 में विवाह किया।[3] रोक्सना से उनकी पहली भेंट हार्वर्ड में हुई थी। रोक्सना स्वामी भी गणित में पी॰एच॰डी॰ हैं तथा आजकल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकील हैं।[4] उनकी दो बेटियाँ है, एक गीतांजलि स्वामी जिसने एम॰आई॰टी॰ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय शर्मा से शादी की है और दूसरी सुहासिनी हैदर जो द हिन्दू में सम्पादक है और उन्होंने नदीम हैदर से विवाह किया है।
सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने कई किताबें व शोधपत्र लिखे और पत्रिकाओं का सम्पादन किया। नीचे उनकी सूची दी हुई है।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.