सूबेदार जोगिंदर सिंह
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सूबेदार जोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत (२६ सितंबर १९२१ - अक्टूबर १९६२)[2] (पिता :श्री शेर सिंह जी,श्रीमती माता किशन कौर जी) सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे। इन्हें १९६२ के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।[3]श्री सिंह १९३६ में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए और सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन में कार्यरत रहे। १९६२ के भारत-चीन युद्ध के दौरान वह नार्थ ईस्ट फ्रॉंटियर एजेंसी (नेफा / NEFA) में तान्पेंगला, बुमला मोर्चे पर एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने बहादुरी से अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया तथा जब तक वह घायल नहीं हुए, तब तक अपनी पोस्ट का बचाव किया। श्री सिंह जी इस युद्ध में लापता हो गए थे तथा चीनी सेना की ओर से भी उनके बारे में कोई सूचना नहीं मिली।
सामान्य तथ्य सूबेदारजोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत जी (परमवीर चक्र सम्मानित), जन्म ...
सूबेदार जोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत जी (परमवीर चक्र सम्मानित) | |
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जन्म |
२६ सितम्बर २६ मोगा, पंजाब |
देहांत |
अक्टूबर १९६२ बुमला, अरुणाचल प्रदेश |
निष्ठा |
ब्रिटिश भारत भारत |
सेवा/शाखा |
ब्रिटिश भारतीय सेना भारतीय थलसेना |
सेवा वर्ष | १९३६–१९६२ |
उपाधि | सूबेदार |
सेवा संख्यांक | JC-४५४७[1] |
दस्ता | प्रथम बटालियन, सिख रेजिमेंट |
युद्ध/झड़पें |
द्वितीय विश्व युद्ध १९४७ का भारत-पाक युद्ध भारत-चीन युद्ध |
सम्मान | परम वीर चक्र |
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