हनुमानगढ़ी, अयोध्या
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[हनुमान गढ़ी] भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या नगर में स्थित 10वीं शताब्दी का हनुमान जी का एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है। यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों के साथ-साथ अन्य मंदिरों जैसे नागेश्वर नाथ और राम मंदिर में से एक है।[1]
सिद्धपीठ श्री हनुमान गढ़ी मन्दिर | |
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Siddhipeeth Shri Hanuman Garhi Temple | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्मਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
देवता | हनुमान जी |
त्यौहार | रामनवमी, दशहरा, दीपावली |
शासी निकाय | निर्वाणी अखाड़ा |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | अयोध्या |
ज़िला | अयोध्या ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 26.7953°N 82.2016°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मुग़लकालीन व नागर शैली |
निर्माता | महंत बाबा अभयरामदास |
साइट क्षेत्रफल | 52 बीघा |
अयोध्या के मध्य में स्थित, 76 सीढ़ियाँ हनुमानगढ़ी तक जाती हैं जो उत्तर भारत में हनुमान जी के सबसे लोकप्रिय मंदिर परिसरों में से एक हैं। यह एक प्रथा है कि राम मंदिर जाने से पहले सबसे पहले भगवान हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए।[2][3][4] मंदिर में हनुमान की मां अंजनी रहती हैं, जिसमें युवा हनुमान जी उनकी गोद में बैठे हैं।[5] यह मंदिर रामानंदी संप्रदाय के बैरागी महंतों और निर्वाणी अनी अखाड़े के अधीन है।
जब रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे, तो हनुमानजी यहां रहने लगे। इसीलिए इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट रखा गया। यहीं से हनुमानजी रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में, पवनसुत माता अंजनी की गोद में बैठते हैं।
यह विशाल मंदिर और इसका आवासीय परिसर 52 बीघा में फैला हुआ है। वृंदावन, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी सहित देश के कई मंदिरों में इस मंदिर की संपत्ति, अखाड़े और बैठकें हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर राम जन्मभूमि के पास स्थित है।
1822में फैजाबाद के एक न्यायिक अधिकारी हफीजुल्ला ने कहा कि बाबर की बनाई मस्जिद रामजन्मभूमि पर बनी है .उसने यह भी कहा कि ये मस्जिद सीता रसोई के पास है .इसके तेंतीस वर्ष बाद हनुमान गढ़ी पर भीषण संघर्ष हुआ .1855में ब्रिटिश रेजिडेंट ने अवध के नबाव को खत लिखकर हनुमान गढ़ी पर जिहादियों के हमले को रोकने के लिए कहा .ब्रिटिश रेजिडेंट ने खत में लिखा कि सुन्नी मौलवी गुलाम हुसैन रामजन्मभूमि पर हमला करने के लिए मस्जिद से तकरीर कर मुसलमानों को भड़का रहा है .मौलवी का दावा है कि हनुमान गढ़ी के भीतर मस्जिद है और मुसलमानों को उस पर कब्जा कर लेना चाहिए .ब्रिटिश रेजिडेंट के बार बार फ़ोर्स भेजने के आग्रह पर भी नबाव ने कोई ध्यान नहीं दिया .शुरू में एक छोटी झडप हुयी फिर कुछ दिन बाद जुलाई महीने में खुनी संघर्ष में बदल गयी .गुलाम हुसैन ने जिहादियों के एक झुण्ड के साथ हनुमान गढ़ी पर हमला किया जिसका हिन्दू वैरागी साधुओं ने तगड़ा जबाव दिया .’इस हमले में गुलाम हुसैन समेत सत्तर सुन्न्नी जिहादी मारे गये .
1857 के फरवरी महीने में मौलवी अहमदुल्ला शाह इसी गुलाम हुसैन की मौत का बदला लेने फैजाबाद गया था .वहां एक मस्जिद में भडकाऊ भाषण करने पर गिरफ्तार हुआ .मई में जब क्रांति होने से पहले ही इसे फांसी पर चढाने का हुक्म हो चुका था .एकाएक बगावत होने पर इसने जेल के डाक्टर नजफ अली के कपड़े पहनकर डाक्टर की मदद से ही जेल पर कब्जा कर लिया और क्रान्तिकारी बन गया .इसका चरित्र बहुत कुछ मुल्ला मसूद अजहर से मिलता जुलता था .मौलवी जेल में ताबीज़ –गंडे देता था .हनुमान गढ़ी पर हमला करने वाले मौलवी गुलाम हुसैन को यह अपना पीर कहता था .गुलाम हुसैन सैयद अहमद बरेलवी का शागिर्द था जो 1826 में बालाकोट के पहले आतंकवादी अड्डे को सिख फौजों द्वारा ध्वस्त करते समय मारा गया [Sources: Historian Dr Meenakshi Jain’s talk at Srijan Foundation, Dr Meenakshi Jain’s book: Rama and Ayodhy]
इतिहासकार सर्वपल्ली गोपाल ने कहा है कि 1855 का विवाद बाबरी मस्जिद - राम मंदिर स्थल के लिए नहीं बल्कि हनुमान गढ़ी मंदिर के लिए मुसलमानों और रामानंदी बैरागियों के बीच हुआ था।
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