हिंदू-जर्मन षड्यंत्र
ब्रिटिश भारत की औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ अखिल भारतीय प्रतिरोध बनाने के लिए 1914 और 1917 के बीच हिंदू-जर / From Wikipedia, the free encyclopedia
हिन्दू-जर्मन षडयन्त्र प्रथम विश्वयुद्ध दौरान १९१४ से १९१७ के बीच ब्रिटिश राज के विरुद्ध एक अखिल भारतीय विद्रोह आरम्भ करने के लिये बनाई योजनाओं और प्रयत्नों के लिये अंग्रेज सरकार द्वारा दिया गया नाम है। इस महान प्रयत्न में भारतीय राष्ट्वादी संगठन तथा भारत, अमेरिका और जर्मनी के सदस्य शामिल थे। आयरलैण्ड के रिपब्लिकन तथा जर्मन विदेश विभाग ने इसमें भारतीयो का सहयोग किया था। अमेरिका स्थित गदर पार्टी, जर्मनी स्थित बर्लिन कमिटी, भारत स्थित गुप्त क्रांतिकारी संगठन और सान फ़्रांसिसको स्थित दूतावास के द्वारा जर्मन विदेश विभाग ने साथ मिलकर इसकी योजना बनायी थी। सबसे महत्वपूर्ण योजना पंजाब से लेकर सिंगापुर तक सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के अन्दर असंतोष फैलाकर विद्रोह का प्रयास करने की थी। यह योजना फरवरी १९१५ मे क्रियान्वित करके, हिन्दुस्तान से ब्रिटिश साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का उद्देश्य लेकर बनाई गयी थी। ब्रिटिश गुप्तचर सेवा ने गदर आन्दोलन मे सेंध लगाकर और कुछ महत्वपूर्ण लोगो को गिरफ्तार करके अन्ततः इसे विफल कर दिया। उसी तरह भारत की छोटी इकाइयों में और बटालियनों में भी विद्रोह को दबा दिया गया था।
वास्तव में ब्रितानी गुप्तचर पूरे विश्व में कार्यरत थे और हिन्दू-जर्मन गठजोड़ का पता लगाना उसी व्यापक प्रयास का एक भाग था। हिन्दू-जर्मन षड्यंत्र को विफल किये जाने का परिणाम यह भी हुआ कि इस तरह के प्रयास आगे नहीं हुए। अमेरिका में सन १९१७ में हुए एन्नी लार्सन घटनाक्रम के बाद अमेरिकी गुप्तचर संस्थाओं ने ने उसके प्रमुख लोगों को पकड़ लिया।
हिन्दू-जर्मन क्रियाकलापों के परिणाम दूरगामी रहे। ब्रितानी राज को अपनी भारत सम्बन्धी नीति में सुधार करने के लिये बाध्य होना पड़ा। इसी तरह के प्रयास आगे चलकर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी हुए। सुभाष चन्द्र बोस ने जर्मनी में भारतीय सेना (Indische Legion) तथा जापान में आजाद हिन्द फौज बनायी और मोहम्मद इकबाद सेदाई ने इटली में आजाद हिन्दुस्तान बटालियन ।
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