हिन्दू धर्म का इतिहास
हिन्दू धर्म का आरम्भिक इतिहास / From Wikipedia, the free encyclopedia
हिन्दू समुदाय का इतिहास सबसे प्राचीन है।[1][2][3][4] इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। उसके बाद इसे लिपिबद्ध (तु वेदस्य हस्तौ) करने का काल भी बहुत लंबा रहा है। हिन्दू धर्म के सर्वपूज्य ग्रन्थ हैं वेद। वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। वेदों के रचनाकाल का आरंभ 2500 ई.पू. से है। यानि यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद जिसे वेदत्रयी कहा जाता था। कहीं कहीं ऋग्यजुस्सामछन्दांसि को वेद ग्रंथ से न जोड़ उसका छंद कहा गया है। मान्यता अनुसार वेद का विभाजन राम के जन्म के पूर्व पुरुंरवा राजर्षि के समय में हुआ था। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि अथर्वा द्वारा किया गया। वहीं एक अन्य मान्यता अनुसार कृष्ण के समय में वेद व्यास कृष्णद्वैपायन ऋषि ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था। मान्यतानुसार हर द्वापर युग में कोई न कोई मुनि व्यास बन वेदों को 4 भागों में बाटते हैं।
हिंदू धर्म की उत्पत्ति पूर्व आर्यों की अवधारणा में है जो 4500 ई.पू. मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे, इसमें भी डॉ मुइर जैसे वैज्ञानिकों में मतभेद हैं।[5] कहते हैं कि आर्यों की ही एक शाखा ने अविस्तक धर्म की स्थापना भी की। इसके बाद क्रमशः यहूदी धर्म 2000 ई.पू., बौद्ध धर्म और जैन धर्म 500 ई.पू., ईसाई धर्म सिर्फ 2000 वर्ष पूर्व, इस्लाम धर्म आज से 1400 वर्ष पूर्व हुआ।
धार्मिक साहित्य अनुसार हिंदू समुदाय की कुछ और भी धारणाएँ हैं। रामायण, महाभारत और पुराणों में सूर्य और चंद्रवंशी राजाओं की वंश परम्परा का उल्लेख उपलब्ध है। इसके अलावा भी अनेक वंशों की उत्पति और परम्परा का वर्णन आता है। उक्त सभी को इतिहास सम्मत क्रमबद्ध लिखना बहुत ही कठिन कार्य है, क्योंकि पुराणों में उक्त इतिहास को अलग-अलग तरह से व्यक्त किया गया है जिसके कारण इसके सूत्रों में बिखराव और भ्रम निर्मित जान पड़ता है, फिर भी धर्म के ज्ञाताओं के लिए यह भ्रम नहीं है, वो इसे कल्पभेद से सत्य मानते हैं। हिन्दू शास्त्र ग्रंथ याद करके रखे गए थे। यही कारण रहा कि अनेक आक्रमण जैसे नालंदा आदि के प्रकोप से भी अधिकतर बचे रहे। इनकी कुछ मिथ़ॉलजि जैसी बातों को आधुनिक दुनिया नहीं मानती तो कुछ सत्य प्रतीत होने वाली बातों को मानतीं भीं हैं।
हिंदू समुदाय के इतिहास ग्रंथ पढ़ें तो ऋषि-मुनियों की परम्परा के पूर्व मनुओं की परम्परा का उल्लेख मिलता है जिन्हें जैन धर्म में कुलकर कहा गया है। ऐसे क्रमश: 14 मनु माने गए हैं जिन्होंने समाज को सभ्य और तकनीकी सम्पन्न बनाने के लिए अथक प्रयास किए। धरती के प्रथम मानव का नाम स्वयंभू मनु था और प्रथम स्त्री सतरुपा थी महाभारत में आठ मनुओं का उल्लेख है। इस वक्त धरती पर आठवें मनु वैवस्वत की ही संतानें हैं। आठवें मनु वैवस्वत के काल में ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। हिन्दू समुदाय की कालमापनी सबसे बड़ी है। पुराणों में हिंदू इतिहास का आरंभ सृष्टि उत्पत्ति से ही माना जाता है। ऐसा कहना कि यहाँ से शुरुआत हुई यह शायद उचित न होगा फिर भी हिंदू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (प्रथम मानव) से भगवान कृष्ण की पीढ़ी तक का उल्लेख मिलता है।
हालांकि इतिहासकारों की मानें तो हिन्दू समुदाय का प्रारम्भ सिन्धु घाटी की सभ्यता (5000 वर्ष पूर्व) समानांतर/उपरांत से माना जाता है, वहीं ग्रंथों में लिखित दस्तावेज़ इससे कहीं आगे की बात करते हैं। परन्त कोई भी तथ्य सत्यता पर आधारित नहीं माने जाते है इसके साथ ही अनेक साक्ष्य कभी कभी इतिहासवेत्ताओं के पसीेने छुड़ा देते हैं। उदाहरणार्थ सन् 2019 में प्राप्त श्रीराम के 6000 वर्ष प्राचीन भित्तिचित्र जो ईराक में मिले[6], साथ ही कल्प विग्रह नामक शिव प्रतिमा जिसकी कार्बन डेटिंग आयु 28,450 (2019) वर्ष आंकी गई थी।[7] ये सारे प्रमाण हिन्दू समुदाय को कहीं अधिक प्राचीन बनाते हैं।
धर्म लगभग 9000 साल से व्यवस्थित विकसित हुआ है और सात चरणों के रूप में देखा जा सकता है कि दूरबीन एक-दूसरे में है। कुछ हिंदुत्व के अधिवक्ताओं का मानना होगा कि 12,000 साल पहले हिमयुग के अंत तक हिंदू धर्म को अपने संपूर्ण रूप में ऋषियों के लिए प्रकट किया गया था। हिंदुत्व के इतिहास में, पौराणिक कथाएं सिर्फ समय-समय पर इतिहास है, इतिहासकार गणना नहीं कर सकते। हाल के दिनों में, हिंदू धर्म को "खुला स्रोत धर्म" के रूप में वर्णित किया गया है, अनोखा है कि इसमें कोई परिभाषित संस्थापक या सिद्धांत नहीं है, और ऐतिहासिक और भौगोलिक वास्तविकताओं के जवाब में इसके विचार लगातार विकसित होते हैं। यह कई सहायक नदियों और शाखाओं के साथ एक नदी के रूप में सबसे अच्छा वर्णित है, हिंदुत्व शाखाओं में से एक है, और वर्तमान में बहुत शक्तिशाली है, कई लोग स्वयं को नदी के रूप में मानते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार दिये गए मत निम्न हैं हालांकि इनमें बहुंत मतभेद होते रहते हैं।