2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला
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2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला, जिसे आमतौर पर निर्भया केस के नाम से जाना जाता है, भारत की राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई एक बलात्कार तथा हत्या की घटना थी, जो संचार माध्यम के त्वरित हस्तक्षेप के कारण प्रकाश में आयी। 30 दिसम्बर 2012 को उसका शव दिल्ली लाकर पुलिस की सुरक्षा में जला दिया गया।[2] इस कृत्य की निन्दा करते हुए सोशल मीडिया में ट्वीटर फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए जिसमें नई दिल्ली, कलकत्ता और बंगलौर में हुए प्रदर्शनों उल्लेखनीय हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि नई दिल्ली में यौन अपराधों की दर अन्य मैट्रोपॉलिटन शहरों के मुकाबले सर्वाधिक (प्रति 18 घण्टे पर लगभग एक बलात्कार) है। लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद आखिर 20 मार्च 2020 को सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल में के द्वारा निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई।[3] इससे पूर्व भारत की एक मात्र महिला राष्ट्र्पति प्रतिभा पाटिल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बलात्कार के पाँच मामलों में दी गयी फाँसी की सजा को माफ करके उम्रकैद में बदल चुकी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निन्दा हुई। इसके परिणाम स्वरूप कई कड़े कानून संसद में पारित किये गए हैं।[4]
दिल्ली के सामूहिक बलात्कार काण्ड के विरोध में नई दिल्ली में इण्डिया गेट पर हुए प्रदर्शन का एक दृश्य | |
तिथि | 16 दिसम्बर 2012 |
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समय | रात्रि 9:54 बजे, भारतीय मानक समय (यूटीसी+05:30) |
स्थान | दिल्ली, भारत |
परिणाम | राम सिंह (परीक्षण अवधि में मृत्यु हो गई); अन्य दोषियों को सजा-ए-मौत; मोहम्मद अफरोज नाबालिग दोषी को तीन वर्ष के लिए बाल सुधार कारावस में भेजा |
मौतें | 1 (महिला शिकार) 29 दिसम्बर 2012 को |
चोट लगने की घटनाएं | 1 (पुरुष शिकार) |
अभियुक्त |
राम सिंह मुकेश सिंह विनय शर्मा पवन गुप्ता अक्षय ठाकुर मोहम्मद अफरोज |
मामले | बलात्कार, हत्या, अपहरण, डकैती, हमला[1] |
न्यायलय का निर्णय | दोषी |