दिवालोक बचत समय (दि॰ब॰स॰) या ग्रीष्मसमय कुछ देशों की उस प्रथा को कहते हैं जहाँ गर्मियों के मौसम में सुबह जल्दी होने वाली रौशनी का लाभ उठाने के लिए ग्रीष्म ऋतु में घड़ियों को आगे कर दिया जाता है। आमतौर पर दि॰ब॰स॰ में हर वर्ष में निर्धारित शुरूआती और अंतिम तिथियाँ तय करके प्रशासनिक आदेश द्वारा घड़ियों को एक घंटा आगे चलाया जाता है। इस से पूरे देश की दिनचर्या लगभग एक घंटे पहले शुरू होती है और एक घंटे पहले ख़त्म होती है, यानि रात को बत्तियाँ इत्यादि एक घंटा कम प्रयोग होती हैं और उर्जा की बचत होती है।[1]

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हालांकि विश्व के अधिकतर देश दि॰ब॰स॰ प्रथा नहीं चलते, लेकिन उत्तरी गोलार्ध के बहुत से देशों में यह होता है ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा जारी ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा थी, लेकिन रोकी गई ██ दि॰ब॰स॰ प्रथा कभी नहीं थी

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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