शीर्ष प्रश्न
समयरेखा
चैट
परिप्रेक्ष्य
द बर्निंग ट्रेन
1980 की रवि चोपड़ा की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
Remove ads
द बर्निंग ट्रेन 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसका निर्माण बी॰ आर॰ चोपड़ा ने किया और निर्देशन रवि चोपड़ा द्वारा किया गया। इस फिल्म में धर्मेन्द्र, हेमामालिनी, विनोद खन्ना, परवीन बॉबी, जितेन्द्र, नीतू सिंह सहित विशाल कलाकारों की प्रमुख भूमिकाएँ शामिल हैं और आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित संगीत है।
Remove ads
संक्षेप
सारांश
परिप्रेक्ष्य
इस कहानी की शुरुआत अशोक (धर्मेन्द्र), विनोद (विनोद खन्ना) और रणधीर के बचपन से शुरू होती है। उन सभी का भारत में बहुत ही तेज ट्रेन बनाने और चलाने का सपना होता है। उनके बड़े होने के बाद एक दिन भारतीय रेलवे एक बहुत ही तेज ट्रेन "सुपर एक्सप्रेस" बनाने की अनुमति देती है। विनोद, रणधीर और राकेश अपना अपना मॉडल चुनाव हेतु भेजते हैं, लेकिन अंत में विनोद का दिया मॉडल ही चुना जाता है। रणधीर को अपने मॉडल के न चुने जाने से गुस्सा आ जाता है और वो इसका बदला लेने की सोचता है। लगभग 6 साल गुजर जाते हैं और विनोद अपनी ट्रेन बनाने के काम में लगा रहता है और अंत में पूरा भी कर लेता है, जिससे लोग बस 14 घंटे में ही दिल्ली से मुंबई में जा सकते हैं।
अशोक और विनोद दो खूबसूरत महिलाओं से प्यार करते हैं: सीमा (हेमामालिनी) और शीतल (परवीन बॉबी)। रणधीर भी शीतल से प्यार करता है, लेकिन वह विनोद से शादी करती है और उनके पास एक बच्चा है, राजू, जो रणधीर को बहुत दर्द देता है। अशोक और सीमा अपनी सगाई के बाद शादी करने की योजना बना रहे होते हैं, लेकिन अचानक अशोक के पिता को भारी दिवालियापन का सामना करना पड़ता है। वह अपनी संपत्ति खो देते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। अशोक सड़क पर आ जाता है और यहाँ तक कि सीमा उसे छोड़ देती है। अशोक शहर छोड़ देता है। विनोद ने अपनी पत्नी और बेटे को अनदेखा करते हुए ट्रेन बनाने पर पूरी तरह ध्यान केन्द्रित किया था। बहुत देर हो चुकी थी, दिल से पीड़ित शीतल ने अपने बेटे राजू को अपनी मां के घर भेज दिया और वह विनोद को छोड़ देती है।
ट्रेन के पहली बार चलने का समय भी आ जाता है और वो ट्रेन दिल्ली से मुंबई जाने के लिए मथुरा स्टेशन से निकल जाती है। अशोक की मुलाक़ात रणधीर से होती है, वे दोनों बात करते रहते हैं कि रणधीर उसे बताता है कि उसने बदला लेने के लिए ट्रेन के ब्रेक को हटा दिया है और इंजन में बम भी रख दिया है। ये बात जान कर अशोक तुरंत ट्रेन की ओर जाता है, पर उससे पहले ही ट्रेन में धमाका हो जाता है और ड्राइवर की मौत हो जाती है। इसके बाद ट्रेन बिना रुके आगे बढ़ते जाती है।
रेलवे में काम करने वालों को ये बात पता चलती है तो उनके होश उड़ जाते हैं। राकेश, जो मुंबई में रहता है, वो ट्रेन को धीमा करने की कोशिश करते रहता है। वहीं अशोक और राकेश की मदद से विनोद एक कार से ट्रेन में जाने की कोशिश करता है। विनोद, अशोक और रवि उस इंजन में आ जाते हैं और वहाँ रणधीर को देख कर हैरान रह जाते हैं। रणधीर उन्हें मारने की कोशिश करते रहता है, पर मारपीट के दौरान वो ट्रेन से गिर जाता है। वे लोग इंजन में देखते हैं कि सारा सिस्टम तबाह हो चुका है और उसे पूरी तरह उड़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है। रवि सारे यात्रियों को सीट में अच्छी तरह कस कर बैठने बोलता है, ताकि बम के धमाके के कारण उन्हें चोट न लग जाये। इसके बाद वे लोग डाइनामाइट से विस्फोट करते हैं। अंत में इंजन धीमा हो जाता है और सारे यात्री बॉम्बे रेलवे स्टेशन में उतर जाते हैं और इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।
Remove ads
मुख्य कलाकार
- धर्मेन्द्र - अशोक
- विनोद खन्ना - विनोद वर्मा
- जितेन्द्र - रवि
- हेमामालिनी - सीमा
- परवीन बॉबी - शीतल
- नीतू सिंह - मधु
- डैनी डेन्जोंगपा - रणधीर
- विनोद मेहरा - राकेश
- इफ़्तेख़ार - रेलवे बॉर्ड का चेयरमैन
- रंजीत - चन्दर
- सिमी गरेवाल - विद्यालय अध्यापिका
- नासिर हुसैन - विनोद के पिता
- सुजीत कुमार - इंस्पेक्टर रणवीर
- ओम शिवपुरी - राजा राम
- मदन पुरी - सेठ धर्मदास
- इन्द्रानी मुखर्जी - पद्मिनी
- असरानी - मेजर पी. के. भंडारी
- केष्टो मुखर्जी - यात्री
- पेंटल - यात्री
- नवीन निश्चल - डॉक्टर
- आशा सचदेव - रामकली
- राजेन्द्रनाथ - पंडित
- युनुस परवेज़ - मौलाना
- दिनेश ठाकुर - उस्मान अली
- उर्मिला भट्ट - रण्धीर की माँ
- सत्येन्द्र कपूर - मधु के पिता
- पदमिनी कपिला - रितु
- पदमा खन्ना
- मैक मोहन - मैक
- मुकरी - कन्हैया
- नाना पलसीकर - सीमा के मामा
- जगदीश राज - टैंगो
- शम्मी - यात्री
- बी आर चोपड़ा - रेलवे बोर्ड के सदस्य के रूप में स्वयं
Remove ads
संगीत
सभी गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
बाहरी कड़ियाँ
Wikiwand - on
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Remove ads