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पाञ्चाल

प्राचीन भारत का हिन्दू राजवंश और महाजनपद विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

पाञ्चाल
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पांचाल या पञ्चाल राज्य प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। यह उत्तर में हिमालय के भाभर क्षेत्र से लेकर दक्षिण में चर्मनवती नदी के उत्तरी तट के बीच के मैदानों में फैला हुआ था। इसके पश्चिम में कुरु, मत्स्य तथा सुरसेन राज्य थे और पूर्व में नैमिषारण्य था। बाद में यह दो भागों में बाँटा गया। उत्तर पांचाल हिमालय से लेकर गंगा के उत्तरी तट तक था तथा उसकी राजधानी अहिछत्र थी तथा दक्षिण पांचाल गंगा के दक्षिणी तट से लेकर चर्मनवती तक था और उसकी राजधानी काम्पिल्य थी।[1]
अखण्ड पांचाल की सत्ता पाण्डवों के ससुर तथा द्रौपदी के पिता द्रुपद के पास थी। कहा जाता है कि पहले द्रुपद तथा पाण्डवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के बीच घनिष्ठ मित्रता थी लेकिन कुछ कारणवश दोनों में मन-मुटाव हो गया। फलतः दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया। युद्ध में द्रुपद की हार हुयी और पांचाल का विभाजन हुआ। उत्तर पांचाल के राजा द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा मनोनीत हुए तथा द्रुपद को दक्षिण पांचाल से ही संतोष करना पड़ा। दोनों राज्यों को गंगा अलग करती थी।

सामान्य तथ्य पञ्चाल राज्य पांचाल राजवंश, राजधानी ...
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भौगोलिक स्थिति

पांचाल राज्य गोमती नदी के पश्चिम में एवं चम्बल नदी के उत्तर में स्थित था। इसके पश्चिम में पड़ोसी सूरसेन एवं यकृल्लोम थे जबकि उत्तर-पश्चिम यह गंगा एवं कुरुओं के मध्य सघन वन से अलग थे। उत्तर में गंगा के उद्गम क्षेत्र तक वन था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बरेली, बदायूँ, फ़र्रूख़ाबाद, रोहिलखंड के निकटवर्ती क्षेत्र और गंगा-यमुना का मध्य क्षेत्र पांचाल राज्य का भाग थे।[2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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